हिन्दी साहित्य – पेपर 2 | BA 3rd Year Paper | DAVV | 2025

हिन्दी साहित्य पेपर 2 में प्रमुख रूप से साहित्यिक काव्य, गद्य और निबंध से संबंधित प्रश्न आते हैं। इनमें कवि और लेखक की रचनाएँ, उनके विचार, काव्यशास्त्र, शैली, और प्रमुख साहित्यिक आंदोलनों पर आधारित प्रश्न हैं। साथ ही, साहित्यिक कृतियों का विश्लेषण और उनके सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ भी शामिल हैं।

B.A. III Year (4 Y.D.C.) Examination  
March-April 2025
समूह अ 
विषय – हिन्दी साहित्य 
जन संचार माध्यम सिद्धान्त और अनुप्रयोग (डिसिप्लिन स्पेसिफिक इलेक्टिव)
(द्वितीय प्रश्रपत्र)
हिन्दी साहित्य पेपर 2
DAVV University (Indore)

[Max. Marks 70   [Min. Marks 25   नोट: सभी खण्ड अनिवार्य हैं। सभी के लिए अंक विभाजन योजना प्रश्नपत्र में दशयेि अनुसार होगी। दृष्टि बाधित छात्रों के लिए 60 मिनिट अतिरिक्त समय दिया जाएगा। विश्वविद्यालय के पास अंक विभाजन के परिवर्तन का अधिकार सुरक्षित है।  

खण्ड अ : 6×1=6 
1. प्रिन्टिंग प्रेस का आविष्कार किसने किया:  

(अ) जोहांस मुढेत्वर्ग  

(ब) फ्रेडरिक  

(स) शिल्टन

(द) लैदर बुढ

2. भारत में पहला अखबार कौन-सा था:

(अ) इंडिया टुडे  

(ब) अमर उजाला  

(स) बंदे भारत

(द) बंगाल गजट

3. ऑल इण्डिया रेडियो की स्थापना कब हुई:  

(अ) 1930  

(ब) 1936

(स) 1934  

(द) 1933

4. ‘मीडिया’ शब्द किस भाषा का शब्द है:

(अ) लैटिन

(ब) हिन्दी  

(स) अंग्रेजी

(द) फ्रेंच

5. कौन-सा सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्वीट के लिए 280 अक्षर सीमा के लिए जाना जाता है:

(अ) फेसबुक  

(ब) ट्विटर  

(स) इंस्टाग्राम  

(द) लिंक्डइन

6. रेडियो का आविष्कार कहाँ हुआ:  

(अ) इटली

(ब) जापान  

(स) भारत  

(द) इंग्लैण्ड 

खण्ड ब: लघुउत्तरीय प्रश्न  5×8=40 

1. संचार के प्रमुख तत्वों का वर्णन कीजिए। ।  

अथवा

ब्लॉग किसे कहते हैं?

उत्तर: ब्लॉग एक ऐसा प्लेटफॉर्म या वेबसाइट होती है जहाँ कोई व्यक्ति अपने विचार, जानकारी, अनुभव या किसी खास विषय पर लेख लिखकर लोगों के साथ शेयर करता है। इसे इंटरनेट पर लिखा जाने वाला ऑनलाइन डायरी भी कहा जा सकता है।

जब हम कोई ब्लॉग लिखते हैं, तो उसे “पोस्ट” कहते हैं। ये पोस्ट अलग-अलग विषयों पर हो सकती हैं — जैसे पढ़ाई, खाना बनाना, यात्रा, तकनीक, फैशन, खेल, या किसी खबर पर राय।  

ब्लॉग के मुख्य बिंदु 

1. ब्लॉग एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म होता है जहाँ लेख लिखे जाते हैं।

2. इसे कोई व्यक्ति या संस्था चला सकती है।

3. इसमें किसी विषय पर जानकारी, अनुभव या विचार साझा किए जाते हैं।

4. ब्लॉग पोस्ट समय के अनुसार क्रमबद्ध होती हैं।

5. पाठक ब्लॉग पर टिप्पणी कर सकते हैं और बातचीत कर सकते हैं।

ब्लॉग के फायदे:

• अपने ज्ञान और अनुभव को दूसरों तक पहुँचाया जा सकता है।

• ब्लॉग से पैसे भी कमाए जा सकते हैं (जैसे विज्ञापन या प्रायोजक के ज़रिए)।

• यह एक अच्छा माध्यम है खुद को व्यक्त करने का और लोगों से जुड़ने का।

• पढ़ाई, करियर, यात्रा, खाना, खेल, जैसे हर विषय पर ब्लॉग बनाए जा सकते हैं।

ब्लॉग का एक उदाहरण:

मान लीजिए एक छात्र UPSC की तैयारी कर रहा है। वह अपनी पढ़ाई की रणनीति, नोट्स, और सुझाव एक वेबसाइट पर लिखता है ताकि दूसरे छात्र भी उससे सीख सकें। तो वह वेबसाइट एक शैक्षिक ब्लॉग (Education Blog) कहलाएगी।

2. फीचर लेखन की आवश्यकता क्यों होती है? 

उत्तर: फीचर लेखन की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि यह किसी विषय को विस्तार से, रोचक और भावनात्मक तरीके से प्रस्तुत करता है, जिससे पाठक को विषय की गहराई से समझ मिलती है। यह केवल खबर नहीं देता, बल्कि उसके पीछे की कहानी, अनुभव, और मानवीय पक्ष भी दिखाता है।

फीचर लेखन की आवश्यकता के प्रमुख कारण:

1. गहरी जानकारी देना: फीचर लेखन किसी भी विषय को विस्तार से और गहराई से प्रस्तुत करता है, जिससे पाठक को उस विषय पर पूरी जानकारी मिलती है। यह केवल घटनाओं या समाचारों को नहीं बताता, बल्कि उनके पीछे के कारण और परिणामों को भी समझाता है, जिससे पाठक को सही और स्पष्ट दृष्टिकोण मिलता है।

2. भावनात्मक जुड़ाव बनाना: फीचर लेखन में व्यक्तिगत अनुभव और दिलचस्प कहानियाँ शामिल होती हैं, जो पाठकों को भावनात्मक रूप से जोड़ती हैं। यह पाठकों को न केवल जानकारी देता है, बल्कि उन्हें सोचने और महसूस करने के लिए भी प्रेरित करता है, जिससे वे लेख से गहरे तरीके से जुड़ते हैं।

3. समीक्षा और विचार प्रस्तुत करना: फीचर लेखन लेखक को किसी विशेष मुद्दे पर अपनी व्यक्तिगत राय और विचार व्यक्त करने का अवसर देता है। यह लेख को और दिलचस्प और विचारोत्तेजक बनाता है, जिससे पाठक उस विषय पर गहरे विचार करते हैं और उसे विभिन्न दृष्टिकोण से समझ पाते हैं।

4. पाठक का ध्यान आकर्षित करना: फीचर लेखन की शैली और प्रस्तुति बहुत आकर्षक होती है, जो पाठकों का ध्यान खींचती है। इसकी रोचकता और पाठक के साथ जुड़ाव बनाए रखने की क्षमता, लेख को और दिलचस्प बनाती है, जिससे पाठक इसे अंत तक पढ़ने की इच्छा रखते हैं।

5. समाज में जागरूकता लाना: फीचर लेखन समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे राजनीति, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर ध्यान आकर्षित करता है और समाज में जागरूकता फैलाने में मदद करता है। यह सामाजिक परिवर्तन और सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित करता है, जिससे लोग अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं।

6. रचनात्मकता को बढ़ावा देना: फीचर लेखन लेखक को अपनी रचनात्मकता और अनूठी शैली को प्रस्तुत करने का मौका देता है। यह लेख को न केवल जानकारीपूर्ण और विचारोत्तेजक बनाता है, बल्कि इसे दिलचस्प और आकर्षक भी बनाता है, जिससे पाठकों को नई दृष्टि और सोचने के तरीके मिलते हैं।

अथवा   पृष्ठ सज्जा किसे कहते हैं?  

3. प्रेस-वार्ता ने क्या अभिप्राय है?

प्रेस-वार्ता का महत्व

प्रेस-वार्ता का महत्व इसलिए है क्योंकि यह एक मंच प्रदान करती है, जहां सरकारी अधिकारी या संगठन अपनी योजनाओं और घोषणाओं को मीडिया और जनता के सामने रखते हैं। इससे पारदर्शिता बढ़ती है और अफवाहों को रोकने में मदद मिलती है। प्रेस-वार्ता के माध्यम से जानकारी सीधे और स्पष्ट तरीके से साझा की जाती है, जिससे लोगों का विश्वास बना रहता है।

इसके अलावा, प्रेस-वार्ता त्वरित सूचना वितरण का एक महत्वपूर्ण साधन होती है। जब कोई आपातकालीन घटना होती है, तो प्रेस-वार्ता के माध्यम से मीडिया के जरिए सटीक और सही जानकारी जनता तक पहुँचती है। इससे गलतफहमियों को दूर किया जा सकता है और समाज में जागरूकता बनी रहती है।

प्रेस-वार्ता के प्रकार

प्रेस-वार्ता विभिन्न प्रकार की हो सकती है, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

• समीक्षा प्रेस-वार्ता: इस प्रकार की प्रेस-वार्ता में किसी योजना या कार्यक्रम के परिणामों की समीक्षा की जाती है। इसमें मीडिया से जुड़े लोग सरकार या संस्था के अधिकारी से उस योजना की सफलता, चुनौतियों और परिणामों के बारे में पूछताछ करते हैं।

• घोषणा प्रेस-वार्ता: यह प्रकार तब आयोजित होता है जब किसी विशेष निर्णय या घोषणा को सार्वजनिक करना होता है। उदाहरण के तौर पर, कोई नया कानून, नीति, योजना या कार्यक्रम का ऐलान प्रेस-वार्ता के माध्यम से किया जाता है।

• आपातकालीन प्रेस-वार्ता: इस प्रकार की प्रेस-वार्ता में किसी आकस्मिक घटना या संकट पर जानकारी दी जाती है, जैसे प्राकृतिक आपदा, आतंकवादी हमला, या किसी बड़ी घटना के बाद की स्थिति।

प्रेस-वार्ता के दौरान के महत्वपूर्ण पहलु

• मीडिया से संवाद: प्रेस-वार्ता में मीडिया का प्रमुख रोल होता है। पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देने से अधिकारियों को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका मिलता है।

• सूचना का वितरण: प्रेस-वार्ता के दौरान दी गई जानकारी मीडिया द्वारा विभिन्न समाचार पत्रों, टीवी चैनलों, और इंटरनेट के माध्यम से समाज तक पहुँचाई जाती है।

• जनता का विश्वास: जब प्रेस-वार्ता में अधिकारी स्पष्ट और सटीक जानकारी देते हैं, तो जनता का विश्वास बढ़ता है। इसके परिणामस्वरूप समाज में पारदर्शिता बढ़ती है।

प्रेस-वार्ता का उद्देश्य

प्रेस-वार्ता का मुख्य उद्देश्य मीडिया के माध्यम से जनता तक सही, सटीक और स्पष्ट जानकारी पहुँचाना है। यह एक ऐसा मंच है जहां सरकारी या निजी संस्थाएँ अपने फैसलों, योजनाओं, या घोषणाओं को मीडिया के सामने प्रस्तुत करती हैं, ताकि व्यापक स्तर पर उन्हें समझा जा सके और जनता को उनके बारे में पूरी जानकारी मिल सके। प्रेस-वार्ता की मदद से संगठन न केवल अपनी स्थिति स्पष्ट करते हैं, बल्कि अपनी योजनाओं और नीतियों के बारे में बेहतर संवाद स्थापित करते हैं, जिससे लोगों को बेहतर निर्णय लेने का अवसर मिलता है।

इसके अलावा, प्रेस-वार्ता का उद्देश्य यह भी होता है कि संबंधित मुद्दे पर मीडिया के सवालों का जवाब दिया जाए और किसी प्रकार की अस्पष्टता या गलतफहमियों को दूर किया जाए। पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाबों से यह सुनिश्चित किया जाता है कि जो जानकारी दी जा रही है, वह पूरी तरह से सत्य और निष्पक्ष है। यह संवाद न केवल मीडिया के प्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच होता है, बल्कि यह व्यापक समाज के साथ एक मजबूत सूचना नेटवर्क भी स्थापित करता है, जिससे जनता को किसी भी महत्वपूर्ण विषय पर ताजातरीन जानकारी मिलती है।

अथवा   साक्षात्कार किसे कहते हैं ?

4. सम्पादन प्रक्रिया किसे कहते हैं?  

अथवा   ड्रामा क्या होता है?

ड्रामा एक दृश्य कला है, जहाँ एक कहानी को जीता-जागता रूप देकर दर्शकों के सामने पेश किया जाता है। इसमें लेखक (प्लेब्राइट) एक संरचना तैयार करता है, जिसमें पात्रों के नाम, उनके संवाद और घटनाओं का क्रम लिखा होता है। फिर निर्देशक मंचन (थिएटर), फिल्म या टीवी सेट पर इन सभी तत्वों को एक साथ जोड़कर एक पूरा दृश्य तैयार करता है। कलाकार (अभिनेता) अपनी आवाज, चेहरे के भाव और शरीर की भाषा का इस्तेमाल करके पात्र को जीवंत बनाते हैं। इसके अलावा, प्रकाश व्यवस्था, सेट डिज़ाइन, संगीत और ध्वनि प्रभाव ड्रामाई माहौल बनाने में मदद करते हैं। आसान भाषा में कहें तो ड्रामा वह कला है जिसमें हम एक कहानी को बोल-चाल, हाव-भाव और दृश्यों के ज़रिये महसूस कर पाते हैं, जैसे कि हम खुद उस कहानी का हिस्सा हों।

ड्रामा की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीस में हुई मानी जाती है, जहाँ इसे धार्मिक उत्सवों के दौरान प्रस्तुत किया जाता था। वहाँ दो मुख्य प्रकार के नाटक होते थे – ‘ट्रेजेडी’ (दुःखद नाटक) और ‘कॉमेडी’ (हास्य नाटक)। ट्रेजेडी में राजा-रानियों, नायकों या आम इंसानों की दुखद कहानियाँ होती थीं, जिनमें उनका पतन या मृत्यु भी शामिल हो सकता था। वहीँ कॉमेडी में रोजमर्रा की बातें, हास्यपूर्ण परिस्थितियाँ और मज़ेदार पात्र दर्शकों को हँसाने के लिए बनाए जाते थे। सोफोक्लेस, यूरिपिडीज़ और एरिस्टोफेन्स जैसे ग्रंथकारों ने इन शैलियों को और भी समृद्ध किया। बाद में यह कला रोम, मध्य युग के यूरोप और फिर पूरे विश्व में फैल गई। समय के साथ नए प्रकार के ड्रामा जैसे ऐतिहासिक नाटक, रोमांटिक ड्रामा या सामाजिक नाटक जन्मे, पर आधार हमेशा वे संवाद, पात्र और संघर्ष रहे।

आज के दौर में ड्रामा सिर्फ स्टेज तक सीमित नहीं रहा; यह फिल्म, टीवी सीरीज़ और वेब सीरीज़ तक फैल गया है। थियेटर में जहां कलाकार लाइव ऑडियंस के सामने अभिनय करते हैं, वहीं फिल्मों में बड़े परदे पर दृश्य दिखाए जाते हैं और कैमरे के ज़रिए कहानी को बार-बार रिकॉर्ड कर दर्शकों तक पहुँचाया जाता है। टीवी सीरियल्स रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से जुड़ी कहानियाँ बताते हैं, जबकि वेब सीरीज़ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर छोटे-लंबे एपिसोड में विविध विषयों पर डिबेट करती है। भारत में तो ड्रामा का एक खास रंग संगीत और नृत्य जोड़कर भर दिया जाता है, जिससे गीत-संगीत और भाव-संगीत का आनंद मिलता है। उदाहरण के लिए, बॉलीवुड फिल्मों में गाने के बीच कहानी आगे बढ़ती है, और रंगीन सेट व परिधानों से नज़ारा और भी मनोहारी बन जाता है। अब सोशल मीडिया पर भी लघु नाट्य रचनाएँ (शॉर्ट ड्रामा) ट्रेंड कर रही हैं, जहां मिनटों में भी एक पूरी कहानी सजीव लगती है।

ड्रामा का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना नहीं, बल्कि समाज को प्रतिबिंबित करना, सवाल उठाना और बदलाव की प्रेरणा देना भी होता है। कई नाटक समाज में व्याप्त बुराइयाँ, जैसे भ्रष्टाचार, भेदभाव, लैंगिक असमानता या पर्यावरणीय संकट को उजागर करते हैं। जब हम किसी पात्र के संघर्ष और विजय को देखते हैं, तो उसकी कहानी हमारे दिल-दिमाग में सवाल छोड़ जाती है – “क्या मैं भी कुछ कर सकता हूँ?” या “क्या हम सब मिलकर इस समस्या को दूर कर सकते हैं?” उदाहरण के लिए, एक नाटक गरीबों की पीड़ा दिखाकर गरीबी उन्मूलन का संदेश देता है, तो दूसरा महिलाओं की आवाज़ उठाकर लैंगिक समानता की गुहार लगाता है। इसके अलावा, ड्रामा हमें मानवीय भावनाओं जैसे प्यार, दुःख, दोस्ती और विश्वास को गहराई से महसूस करने का मौका देता है। सरल शब्दों में कहें तो ड्रामा हमें हँसाता है, रुलाता है और सिखाता भी है – यह हमारे जीवन को रंगीन बनाकर हमें बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है।  

5. न्यू मीडिया किसे कहा जाता है?

न्यू मीडिया (New Media) उस प्रकार के मीडिया को कहा जाता है जो इंटरनेट और डिजिटल टेक्नोलॉजी पर आधारित है और पारंपरिक मीडिया जैसे टीवी, रेडियो और प्रिंट मीडिया से अलग होता है। इसमें वह सभी प्लेटफॉर्म शामिल होते हैं जो यूजर्स को इंटरैक्टिव अनुभव प्रदान करते हैं, जैसे सोशल मीडिया, वेब साइट्स, ब्लॉग्स, मोबाइल एप्स, और पॉडकास्ट।

न्यू मीडिया के प्रमुख लक्षण हैं:

1. डिजिटल प्लेटफॉर्म: न्यू मीडिया इंटरनेट और डिजिटल टेक्नोलॉजी पर आधारित होता है, जैसे वेबसाइट्स, सोशल मीडिया, और मोबाइल ऐप्स, जो कहीं से भी एक्सेस किए जा सकते हैं।

2. इंटरएक्टिविटी: इसमें उपयोगकर्ता कंटेंट के साथ इंटरैक्ट कर सकते हैं, जैसे कमेंट्स, लाइक्स, शेयरिंग या अपनी रचनाएँ पोस्ट करना, जिससे संवाद का नया तरीका विकसित होता है।

3. समय और स्थान की स्वतंत्रता: न्यू मीडिया का उपयोग किसी भी समय और स्थान पर किया जा सकता है, यह पारंपरिक मीडिया की तुलना में अधिक लचीला है, जिससे हम कहीं से भी सूचना प्राप्त कर सकते हैं।

4. विविधता: इसमें टेक्स्ट, इमेज, वीडियो, ऑडियो जैसी विभिन्न प्रकार की सामग्री उपलब्ध होती है, जिससे उपयोगकर्ता अपनी पसंद के अनुसार कंटेंट का उपभोग कर सकते हैं।

5. तत्कालता: न्यू मीडिया में जानकारी का आदान-प्रदान तुरंत और तुरंत उपलब्ध होता है, जैसे सोशल मीडिया पोस्ट्स और लाइव स्ट्रीमिंग, जिससे घटनाओं के बारे में तात्कालिक जानकारी मिलती है।

6. पारंपरिक मीडिया से अलग: यह पारंपरिक मीडिया (जैसे टेलीविजन, रेडियो, प्रिंट) से अलग है क्योंकि इसमें उपयोगकर्ताओं को कंटेंट पर अधिक नियंत्रण मिलता है, और वे अपनी पसंद के अनुसार जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

7. ग्लोबल पहुंच: न्यू मीडिया इंटरनेट के माध्यम से वैश्विक स्तर पर लोगों से जुड़ने की सुविधा देता है, जिससे हम दुनिया भर में कहीं भी संवाद कर सकते हैं।

8. संचार के नए रूप: न्यू मीडिया ने संचार के नए तरीके विकसित किए हैं, जैसे पॉडकास्ट, वेबिनार, और ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, जो पारंपरिक संचार के मुकाबले ज्यादा प्रभावी और पहुंच वाले हैं।

 अथवा   वेब पत्रकारिता क्या है?  

खण्ड स: दीर्घउत्तरीय प्रश्न 2×12=24 

1. भारत में जन संचार माध्यम के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: भारत में जन संचार माध्यमों के स्वरूप

1. प्रिंट मीडिया (मुद्रित माध्यम)

प्रिंट मीडिया में समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, ब्रोशर और किताबें शामिल हैं। इसके उदाहरण:

• समाचार पत्र: ‘दैनिक जागरण’, ‘हिंदुस्तान टाइम्स’, ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘द हिंदू’। ये सभी बड़े पैमाने पर हर दिन प्रकाशित होते हैं और देशभर में पढ़े जाते हैं।

• पत्रिकाएँ: ‘इंडिया टुडे’, ‘सरिता’, ‘लोकसत्ता’, ‘मंथली मैगज़ीन’ जैसी पत्रिकाएं विभिन्न विषयों पर गहन जानकारी और विश्लेषण देती हैं।

• पुस्तकें: भारतीय लेखकों द्वारा लिखी गई किताबें जैसे ‘रागदरबारी’ (शंकर पाटिल) या ‘रामचन्द्र गुह’ की ‘भारत: एक ऐतिहासिक यात्रा’ जैसी पुस्तकों के माध्यम से समाज और संस्कृति की गहरी समझ मिलती है।

2. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अंतर्गत रेडियो, टेलीविजन और सिनेमा आते हैं। इसके उदाहरण:

• रेडियो: ‘आकाशवाणी’ (All India Radio) और FM चैनल्स जैसे रेडियो मिर्ची, रेडियो फ्रीक्वेंसी (Red FM) ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना और संगीत का प्रमुख साधन हैं।

• टेलीविजन: भारत में टेलीविजन प्रसारकों के प्रमुख उदाहरण हैं: दूरदर्शन (सरकारी चैनल), Aaj Tak, NDTV, Zee News, Star Plus, Colors TV आदि। इन चैनलों के माध्यम से समाचार, मनोरंजन, शिक्षा और खेल आदि की जानकारी मिलती है।

• सिनेमा: बॉलीवुड फिल्मों जैसे ‘शोले’, ‘चक दे! इंडिया’, ‘पद्मावत’, ‘कबीर सिंह’ और क्षेत्रीय फिल्में जैसे ‘कलीकट’ (मलयालम), ‘माझा ही फॅमिली’ (मराठी) समाज और संस्कृति को प्रभावित करती हैं।

3. डिजिटल मीडिया (नव मीडिया)

डिजिटल मीडिया में इंटरनेट आधारित मीडिया शामिल है, जैसे वेबसाइट्स, ब्लॉग्स और सोशल मीडिया। उदाहरण:

• न्यूज़ पोर्टल्स: ‘NDTV.com’, ‘The Quint’, ‘Scroll.in’, ‘India.com’ जैसे न्यूज़ पोर्टल्स ने 24×7 समाचार सेवा देने की शुरुआत की है।

• सोशल मीडिया: Facebook, Twitter (अब X), Instagram, LinkedIn, YouTube, WhatsApp – ये सभी प्लेटफॉर्म्स समाचार, वीडियो, और व्यक्तिगत जानकारी के आदान-प्रदान के लिए सक्रिय रूप से उपयोग किए जाते हैं।

• ब्लॉग्स: व्यक्तिगत ब्लॉगर जैसे ‘ScoopWhoop’, ‘YourStory’ ने खासकर युवा दर्शकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी और प्रेरणा देने का काम किया है।

• पॉडकास्ट: ‘हिंदी पॉडकास्ट’, ‘The Musafir Stories’, ‘Bhaskar Vani’ आदि भारतीय पॉडकास्टों ने नई पीढ़ी के बीच अपनी पहचान बनाई है।

4. पारंपरिक और लोक संचार माध्यम

भारत में लोक कला और संस्कृति के माध्यम से संचार की पुरानी परंपराएं हैं। उदाहरण:

• रामलीला: उत्तर भारत में धार्मिक कार्यक्रम के रूप में रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें पौराणिक कथाओं को नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

• कीर्तन और भजन मंडलियां: खासकर गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब में धार्मिक कीर्तन और भजन मंडलियां लोगों तक संदेश पहुँचाने का प्रमुख साधन हैं।

• कठपुतली नाटक: राजस्थान और गुजरात में कठपुतली नाटक (पुच्छलदार) का उपयोग जानकारी और मनोरंजन के लिए किया जाता है।

• लोकनाट्य: ‘कवि सम्मेलन’ और ‘नाटक मंडली’ जैसे सांस्कृतिक रूपों का प्रयोग ग्रामीण क्षेत्रों में विचारों और ज्ञान का प्रसार करने के लिए किया जाता है।

5. मोबाइल संचार

मोबाइल संचार अब हर व्यक्ति की पहुँच में है और यह सूचना प्रसार का महत्वपूर्ण साधन बन चुका है। उदाहरण:

• SMS/WhatsApp: सूचना, प्रचार और व्यक्तिगत संदेशों का आदान-प्रदान अब WhatsApp जैसे मोबाइल ऐप्स के माध्यम से बड़े पैमाने पर होता है।

• मोबाइल ऐप्स: भारत सरकार के ऐप्स जैसे ‘Aarogya Setu’ (COVID-19 ट्रैकिंग), ‘UMANG’ (सरकारी सेवाएं), और ‘DigiLocker’ (डिजिटल दस्तावेज़ संग्रहण) ने मोबाइल के माध्यम से सेवा वितरण को सक्षम किया है।

• YouTube: ‘Technical Guruji’, ‘BB Ki Vines’ जैसे YouTubers ने डिजिटल प्लेटफॉर्म को सूचना और मनोरंजन का एक नया रूप दिया है।

6. सरकारी और निजी संचार एजेंसियाँ

भारत में सरकारी और निजी संचार एजेंसियाँ जनसंवाद का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उदाहरण:

• आकाशवाणी (All India Radio) और दूरदर्शन (Doordarshan) जैसे सरकारी चैनल सूचना प्रसार का मुख्य साधन हैं।

• Press Information Bureau (PIB): यह सरकारी विभाग विभिन्न सरकारी योजनाओं, नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में जनता को जानकारी प्रदान करता है।

• NDTV, Zee News, India Today जैसे निजी समाचार चैनल, जो किसी भी समय समाचार सेवा प्रदान करते हैं।

• निजी विज्ञापन एजेंसियाँ: ‘Mudra Communications’, ‘Fischer India’ जैसी एजेंसियाँ विज्ञापन और जनसंचार अभियानों का संचालन करती हैं।

2. समाचार लेखन के सिद्धान्त बताइए।
3. पत्रकारिता प्रबन्धन को समझाइए।  
4. मीडिया में विज्ञापन का महत्त्व समझाइए।

उत्तर: विज्ञापन एक ऐसा माध्यम है जिससे कोई कंपनी या व्यक्ति अपने उत्पाद या सेवा की जानकारी लोगों तक पहुँचाता है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है—लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उन्हें उस चीज़ को खरीदने या उपयोग करने के लिए प्रेरित करना। जैसे, जब आप टीवी पर कोई टूथपेस्ट, मोबाइल फोन या कोल्ड ड्रिंक का प्रचार देखते हैं, तो वह एक विज्ञापन होता है।

मीडिया में विज्ञापन का महत्त्व

आज के दौर में जब हम टीवी देखते हैं, अखबार पढ़ते हैं, रेडियो सुनते हैं या मोबाइल पर सोशल मीडिया चलाते हैं, तो हमें हर जगह विज्ञापन दिखाई देते हैं। ये विज्ञापन कंपनियों, सरकारी संस्थाओं या सेवाओं द्वारा अपने उत्पाद या संदेश को जनता तक पहुँचाने का ज़रिया होते हैं। मीडिया, यानी सूचना पहुँचाने का माध्यम, इन विज्ञापनों को लोगों तक पहुँचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। मीडिया में विज्ञापन का महत्त्व व्यापार, समाज और उपभोक्ताओं सभी के लिए बहुत ज़रूरी है।

1. व्यापार को बढ़ावा: मीडिया के जरिए दिए गए विज्ञापन किसी भी व्यापार को बढ़ाने में मदद करते हैं। जब कोई कंपनी अपने उत्पाद का विज्ञापन टीवी, अखबार या इंटरनेट पर करती है, तो उस उत्पाद की जानकारी लाखों लोगों तक पहुँचती है। इससे लोगों में उस चीज़ को खरीदने की इच्छा होती है, और बिक्री बढ़ती है। इसी से व्यापार की तरक्की होती है।

2. नई चीज़ों की जानकारी: आज बाज़ार में रोज़ नए-नए उत्पाद और सेवाएँ आ रही हैं। लेकिन जब तक उनकी जानकारी लोगों तक नहीं पहुँचती, तब तक वे चीज़ें नहीं बिक सकतीं। मीडिया में विज्ञापन के ज़रिए कंपनियाँ बताती हैं कि उनका प्रोडक्ट नया है, अच्छा है, और किस काम का है। इससे उपभोक्ताओं को विकल्प मिलते हैं और उन्हें अपने लिए सही चीज़ चुनने में आसानी होती है।

3. छोटे व्यापारियों को मदद: आज के डिजिटल युग में छोटे दुकानदार भी फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और गूगल जैसे प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन देकर अपने व्यापार को बढ़ा सकते हैं। इससे उन्हें ज्यादा ग्राहक मिलते हैं और कम बजट में प्रचार हो जाता है।

4. ब्रांड की पहचान बनाना: कोई भी कंपनी या उत्पाद तब ही प्रसिद्ध होता है जब वह बार-बार लोगों को नजर आता है। मीडिया विज्ञापन इस काम में बहुत मदद करता है। जब हम बार-बार किसी ब्रांड का नाम या लोगो टीवी, मोबाइल या पोस्टर पर देखते हैं, तो वह हमारे दिमाग में बस जाता है। यही चीज़ ब्रांड की पहचान बनाती है।

5. जनता को जागरूक बनाना: विज्ञापन न केवल बिक्री बढ़ाने के लिए होते हैं, बल्कि ये लोगों को जागरूक भी करते हैं। जैसे स्वास्थ्य से जुड़े विज्ञापन (जैसे: सिगरेट हानिकारक है), पर्यावरण की सुरक्षा, या सफाई अभियान—ये सभी मीडिया के जरिए लोगों तक पहुँचते हैं। इससे समाज में सकारात्मक सोच बनती है।

6. मीडिया की आमदनी का साधन: अखबार, टीवी चैनल, वेबसाइट या रेडियो को चलाने के लिए पैसे की ज़रूरत होती है। इनकी आमदनी का सबसे बड़ा हिस्सा विज्ञापन से आता है। अगर विज्ञापन न हों, तो मीडिया संस्थानों के लिए अपने कर्मचारियों को वेतन देना और अच्छी खबरें दिखाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए विज्ञापन मीडिया के लिए जरूरी हैं।

7. सरकारी योजनाओं का प्रचार: सरकार भी मीडिया में विज्ञापन देती है, जिससे उसकी योजनाएँ आम जनता तक पहुँच सकें। उदाहरण के लिए – कोरोना टीकाकरण, स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं का प्रचार मीडिया विज्ञापन से हुआ। इससे लोगों को सरकारी सुविधाओं की जानकारी मिलती है।

8. प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा: विज्ञापन के कारण कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा होती है। हर कंपनी चाहती है कि उसका विज्ञापन सबसे अच्छा हो और उसके प्रोडक्ट को ज्यादा लोग खरीदें। इससे कंपनियाँ अपनी सेवाएँ बेहतर बनाती हैं और उपभोक्ताओं को अच्छा विकल्प मिलता है। इस प्रतिस्पर्धा के चलते कंपनियाँ गुणवत्ता, मूल्य और नवाचार पर अधिक ध्यान देने लगती हैं, जिससे ग्राहकों को अधिक संतोषजनक अनुभव प्राप्त होता है।

9. रोजगार के अवसर: विज्ञापन इंडस्ट्री से बहुत सारे लोगों को काम मिलता है। जैसे – ग्राफिक डिजाइनर, कंटेंट राइटर, मार्केटिंग एक्सपर्ट, वीडियो एडिटर, मॉडल, और सोशल मीडिया मैनेजर आदि। इससे देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं। यह क्षेत्र युवाओं को रचनात्मकता के साथ करियर बनाने का एक बेहतरीन मंच प्रदान करता है।

10. उपभोक्ता को विकल्प देना: विज्ञापन के माध्यम से उपभोक्ता को कई विकल्पों के बारे में जानकारी मिलती है। वह कीमत, गुणवत्ता, सुविधाओं आदि की तुलना कर सकता है और सोच-समझकर खरीदारी करता है। इससे उपभोक्ता अपने बजट और ज़रूरत के अनुसार सबसे उपयुक्त उत्पाद या सेवा का चयन कर पाता है। और विज्ञापन के जरिए मिलने वाली विस्तृत जानकारी मिलती है जिससे वह ठगे जाने से भी बचता है।

5. वेब पोर्टल पर समाचार लेखन को समझाइये ।

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