Internet and E-Commerce | PGDCA 2nd Semester | MCNUJC | 2022

Internet and E-Commerce 2nd Semester Exam Paper of June 2022 covered topics like online business models, digital marketing, payment gateways, website development, cybersecurity in e-commerce, and fundamentals of internet technology and applications.

Post Graduate Diploma in Computer (P.G.D.C.A.)
Semester-II Exam, June 2022
Subject – Internet and E-Commerce 
Internet and E-Commerce
                  Makhanlal Chaturvedi University (Indore)

[अवधि/Duration : 3 घंटे/Hours]

[पूर्णांक/Max. Marks : 80]

[न्यूनतम उत्तीर्णांक/Min. Pass Marks : 32]

इकाई I (Unit I)

1. यूआरएल्स, पोर्टल्स, ई-मेल्स को परिभाषित करें?

Define URLs, portals, E-mails?

अथवा (Or)
2. इंटरनेट के विकास की व्याख्या कीजिए, और इसके फायदे और नुकसान को परिभाषित कीजिए?
Explain the evolution of internet, and define its advantages and disadvantages?

उत्तर: इंटरनेट आज हमारी ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। हम घर बैठे-बैठे Shopping करते हैं, Online पढ़ाई करते हैं, Social Media से जुड़ते हैं और दुनिया भर की जानकारी केवल एक क्लिक में पा लेते हैं। लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था। इंटरनेट का सफर बहुत लंबा और रोचक रहा है।

इंटरनेट का इतिहास और विकास:

इंटरनेट का आरंभ 1960 के दशक में हुआ, जब अमेरिका के रक्षा विभाग ने ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) नाम की एक Project शुरू की। इसका उद्देश्य कंप्यूटरों को आपस में जोड़ना और Information को एक जगह से दूसरी जगह Transfer करना था। शुरू में यह केवल Universities और Government Departments तक ही सीमित था।

1980 के दशक में जब TCP/IP Protocol को विकसित किया गया, तब इंटरनेट की दिशा बदली। TCP/IP ऐसा Protocol था जिससे अलग-अलग Networks आपस में Communicate कर सकते थे। इसके बाद धीरे-धीरे Internet का विस्तार हुआ।

1990 में एक और बड़ा बदलाव आया जब Tim Berners-Lee ने World Wide Web (WWW) का अविष्कार किया। अब लोग केवल Text ही नहीं, बल्कि Images, Videos और Hyperlinks के ज़रिए भी Information Access कर सकते थे। इसके साथ ही Websites और Web Pages का दौर शुरू हुआ।

1995 के बाद Commercial Use के लिए इंटरनेट खुल गया। Yahoo, Google, Amazon और Facebook जैसी Companies ने इंटरनेट को घर-घर तक पहुँचाया। 2000 के दशक में Broadband Connections और Smartphones के आने से इंटरनेट और ज्यादा Accessible हो गया।

आज 5G Technology और Artificial Intelligence के साथ इंटरनेट बेहद Smart और Fast हो गया है। अब तो Internet of Things (IoT) के जरिए हमारी कार, फ्रिज और AC भी इंटरनेट से जुड़ने लगे हैं।

इंटरनेट के फायदे (Advantages)

1. Knowledge और Education: इंटरनेट के ज़रिए हम कोई भी जानकारी कुछ ही सेकंड में पा सकते हैं। YouTube, Google और Online Courses ने पढ़ाई को न केवल आसान बल्कि Interactive भी बना दिया है। अब Students घर बैठे Competitive Exams की भी तैयारी कर सकते हैं।

2. Communication: अब हम Video Call, Email और WhatsApp जैसी सेवाओं के ज़रिए Seconds में दुनिया के किसी भी कोने से बात कर सकते हैं। दूर रह रहे Family Members और Friends से जुड़े रहना अब बहुत आसान हो गया है। Business Meetings और Interviews भी अब Virtual Platforms पर हो जाते हैं।

3. Online Shopping और Banking: घर बैठे Mobile या Laptop से Shopping करना और पैसों का लेन-देन बहुत आसान हो गया है। Amazon, Flipkart, और Paytm जैसी Services ने खरीदारी और Bill Payment को Simple बना दिया है। Cashless Transactions अब सुरक्षित और तेजी से होने लगे हैं।

4. Job Opportunities: इंटरनेट ने Freelancing, Blogging, YouTube और Online Business जैसे कई Career Options दिए हैं। अब लोग घर से Global Clients के लिए Projects कर सकते हैं और पैसे कमा सकते हैं। Digital Platforms ने कई लोगों को Self-Employed बनने का मौका दिया है।

5. Entertainment: Netflix, YouTube, Spotify जैसी Apps से Movies, Songs और Shows का Unlimited मज़ा मिलता है। Gaming, Live Streaming और Podcasts जैसे नए मनोरंजन के साधन भी Internet से जुड़े हैं। अब हर उम्र के लोगों के लिए कोई न कोई Digital मनोरंजन उपलब्ध है।

6. Work from Home: कोविड-19 के दौरान इंटरनेट ने घर से काम (Remote Work) को संभव बनाया, जिससे लाखों लोगों की नौकरी बची रही। Zoom, Google Meet और Microsoft Teams जैसी Tools ने Office का काम घर से ही चलने दिया। यह व्यवस्था समय, पैसा और यात्रा के झंझट को भी कम करती है।

इंटरनेट के नुकसान (Advantages)

1. Cyber Crime: Hackers द्वारा Personal Information चोरी करना, Online Fraud और Phishing जैसे Cyber Crimes बढ़ गए हैं। Bank Account Hack, Identity Theft और Unauthorized Access जैसी घटनाएँ आम हो गई हैं। इससे Users को आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव दोनों का सामना करना पड़ता है।

2. Addiction: बच्चों और युवाओं में Social Media और Gaming की लत (Addiction) एक गंभीर समस्या बन गई है। घंटों तक Mobile पर लगे रहना पढ़ाई और रिश्तों पर भी असर डालता है। यह लत धीरे-धीरे मानसिक विकार और Behavioral Problems का कारण बन सकती है।

3. Privacy खतरे में: हमारी सारी Online Activities Track की जाती हैं, जिससे Privacy पर खतरा बना रहता है। Social Media पर डाली गई Personal Photos और Details का गलत इस्तेमाल हो सकता है। Data-Leak के मामलों में Users की जानकारी बिना इजाज़त के बेची जाती है।

4. Fake News और Misinformation: इंटरनेट पर बहुत सी झूठी खबरें और अफवाहें फैलती हैं, जो समाज में भ्रम और डर फैलाती हैं। कई बार ये Fake News Political, Religious या Health से जुड़ी होती हैं, जो तनाव का कारण बनती हैं। Social Media पर Viral Content की सच्चाई पहचानना आम लोगों के लिए मुश्किल होता है।

5. Health Issues: ज्यादा समय तक Mobile या Computer Screen देखने से आँखों और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। Neck Pain, Headache, और Sleeplessness जैसी समस्याएँ आम होती जा रही हैं। डिजिटल लाइफस्टाइल ने Physical Activity को कम कर दिया है, जिससे मोटापा और Diabetes बढ़ रहे हैं।

6. Social Isolation: लोग Online तो Active रहते हैं, लेकिन असली ज़िन्दगी में एक-दूसरे से कम मिलते हैं, जिससे अकेलापन बढ़ रहा है। Virtual World में ज्यादा रहकर लोग Emotional Support और Real Interaction से दूर हो जाते हैं। Social Skills और Face-to-Face बातचीत की क्षमता में भी कमी आने लगी है।

इकाई II (Unit II)

3. रिमोट लॉगिन कॉन्सेप्ट्स (TELNET) और एफ.टी.पी (FTP) को, इसके उपयोगों को परिभाषित करें?
Define Remote login concepts (TELNET) and FTP its uses?

उत्तर: 1. TELNET

TELNET एक नेटवर्क प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग हम किसी दूर बैठे कंप्यूटर या डिवाइस को control करने के लिए करते हैं। यह हमें एक ऐसा interface देता है जिससे हम अपने कंप्यूटर से किसी दूसरे कंप्यूटर में login करके command दे सकते हैं, जैसे कि वह कंप्यूटर हमारे सामने ही हो।

TELNET की सबसे खास बात यह है कि यह remote login को संभव बनाता है। मतलब, अगर एक कंप्यूटर भारत में है और दूसरा अमेरिका में, तो आप भारत से बैठकर TELNET के ज़रिए अमेरिका वाले सिस्टम को चला सकते हैं।

काम करने का तरीका:

जब हम TELNET का उपयोग करते हैं, तो एक TCP/IP connection स्थापित होता है। यह connection आपके कंप्यूटर (client) और remote server के बीच बनता है। login करते समय आपको username और password डालना होता है, और फिर आप उस सिस्टम को ऐसे ही इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे अपने local कंप्यूटर को करते हैं।

एक बार connection हो जाने के बाद, आप उस सिस्टम पर text-based command के ज़रिए files access कर सकते हैं, प्रोग्राम चला सकते हैं और system को manage कर सकते हैं। यह system administrators के लिए बहुत उपयोगी tool है, खासकर जब उन्हें दूर बैठे किसी server को control करना हो।

हालांकि, TELNET में security की कमी होती है क्योंकि यह data को encrypt नहीं करता। इसी कारण आजकल इसके स्थान पर SSH (Secure Shell) का ज़्यादा उपयोग किया जाता है, जो data को सुरक्षित तरीके से भेजता है।

TELNET के उपयोग (Uses of TELNET):

1. Remote System Access: TELNET का सबसे बड़ा उपयोग है किसी दूर बैठे कंप्यूटर या सर्वर को control करना। आप अपने सिस्टम से ही दूसरे सिस्टम में login कर सकते हैं।

2. Network Device Configuration: नेटवर्क इंजीनियर TELNET का use करके routers, switches जैसे devices की settings बदल सकते हैं।

3. Server Monitoring और Management: TELNET की मदद से server पर चल रही services, logs और files को check और manage किया जा सकता है।

4. Educational और Training Purpose: Educational और Training Purpose के लिए TELNET एक अच्छा टूल है, जिससे students को remote access और command-line interface का अनुभव मिलता है।

5. पुराने systems तक पहुँच: कई पुराने computers और network devices आज भी सिर्फ TELNET को support करते हैं, इसलिए उनके लिए इसका उपयोग ज़रूरी होता है।

6. समस्या समाधान (Troubleshooting): TELNET का उपयोग यह check करने के लिए किया जाता है कि कोई server किसी port पर active है या नहीं। यह नेटवर्क समस्याओं को diagnose करने में helpful होता है।

TELNET की कमियाँ (Limitations)

1. कोई Encryption नहीं: TELNET में data plain text में भेजा जाता है, यानी बिना encrypt किए। इससे hackers उसे आसानी से पढ़ सकते हैं।

2. Password खुले रूप में भेजना: Login credentials जैसे username और password को plain text में भेजा जाता है, जो unsafe है।

3. कमज़ोर प्रमाणीकरण: TELNET में कोई strong authentication mechanism नहीं होता, जिससे unauthorized access का खतरा बढ़ जाता है।

4. सुरक्षित विकल्पों द्वारा Replaced: आजकल TELNET की जगह SSH (Secure Shell) का use होता है, क्योंकि वह encrypted और ज्यादा secure होता है।

• FTP

FTP (File Transfer Protocol) एक नेटवर्क प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग दो कंप्यूटरों के बीच files transfer करने के लिए किया जाता है। जब हमें इंटरनेट या local network के माध्यम से कोई फाइल एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में भेजनी होती है, तो हम FTP का उपयोग करते हैं।

FTP, Client-Server मॉडल पर आधारित होता है। इस मॉडल में Client वह डिवाइस या सॉफ्टवेयर होता है जो फाइल भेजने (upload) या प्राप्त करने (download) की प्रक्रिया को अंजाम देता है। वहीं, Server वह सिस्टम होता है जहां फाइलें स्टोर होती हैं और जो क्लाइंट को एक्सेस की अनुमति देता है। FTP सर्वर क्लाइंट्स को फाइल लिस्टिंग देखने, डाउनलोड करने या नई फाइलें अपलोड करने की सुविधा देता है, बशर्ते क्लाइंट के पास उपयुक्त अनुमति हो।

2. FTP कैसे काम करता है:

जब आप किसी FTP client software जैसे कि FileZilla, WinSCP या Cyberduck का उपयोग करते हैं, तो सबसे पहले आपको FTP सर्वर से कनेक्ट होना होता है। इसके लिए सर्वर का IP address, साथ ही वैध username और password की आवश्यकता होती है। एक बार जब यह Connection सफलतापूर्वक स्थापित हो जाता है, तो आप Client Interface की मदद से आसानी से Files को Server पर Upload कर सकते हैं या वहां से Download कर सकते हैं। कुछ FTP Clients, Drag-And-Drop फंक्शन भी सपोर्ट करते हैं, जिससे फाइल ट्रांसफर और भी आसान हो जाता है।

FTP के दो मोड्स:

1. Active Mode: इस मोड में FTP क्लाइंट, सर्वर के Command Port (जैसे Port 21) से कनेक्ट होता है। इसके बाद सर्वर, क्लाइंट के डेटा पोर्ट पर वापस Connection बनाता है। इसका मतलब है कि क्लाइंट को इनकमिंग कनेक्शन स्वीकार करना पड़ता है, जो कुछ नेटवर्क या फ़ायरवॉल में समस्या कर सकता है।

2. Passive Mode: इस मोड में क्लाइंट, सर्वर को बताता है कि वह कौन सा Port Use करेगा। क्लाइंट खुद दोनों कनेक्शन – Command और Data बनाता है। यह तरीका Firewall और NAT (Network Adress Translation) के पीछे बेहतर काम करता है और इसलिए ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।

FTP के उपयोग (Uses):

1. Website Management: वेब डेवलपर्स FTP का इस्तेमाल अपनी वेबसाइट की फाइलें जैसे HTML, CSS, JavaScript, इमेज आदि को वेब सर्वर पर अपलोड करने के लिए करते हैं।

2. Data Backup और File Sharing: ऑफिस और कंपनियों में जरूरी डेटा का Backup लेने और कर्मचारियों के बीच फाइल शेयर करने के लिए FTP सर्वर बनाए जाते हैं।

3. Big File ट्रांसफर: जब ईमेल के माध्यम से फाइल भेजना मुश्किल होता है, तो FTP का उपयोग करके बड़ी Files को आसानी से और तेज़ी से ट्रांसफर किया जा सकता है।

4. Remote File एक्सेस: FTP की मदद से आप कहीं से भी सर्वर पर स्टोर Files को Access कर सकते हैं, जिससे काम करने में आसानी होती है।

5. Automated ट्रांसफर: कुछ कंपनियां FTP स्क्रिप्ट्स का इस्तेमाल कर Automatic Backup और File Transfer सेट करती हैं, जिससे काम स्वचालित हो जाता है।

FTP की सुरक्षा संबंधी बातें (Security):

1. Unencrypted Transfer: स्टैंडर्ड FTP में File और Login Details बिना encryption के भेजे जाते हैं, जिससे डेटा चोरी या इंटरसेप्शन का खतरा रहता है।

2. Secure FTP: सुरक्षा के लिए SFTP का उपयोग किया जाता है, जो SSH प्रोटोकॉल पर आधारित है और डेटा को encrypted तरीके से ट्रांसफर करता है।

3. User प्रमाणीकरण और Control Access: FTP सर्वर पर username और password के जरिए लॉगिन होता है, और यूजर को पढ़ने या लिखने की अनुमति दी जाती है, जिससे अनधिकृत एक्सेस से बचा जा सकता है।

अथवा (Or)

4. सर्च इंजन को परिभाषित करें, यह वेब पोर्टल्स से कैसे भिन्न हैं?

Define search Engines, how they are differ from web portals?

इकाई III (Unit III)

5. उदाहरण के साथ HTML में हाइपरटेक्स्ट की अवधारणा को परिभाषित करें?

Define the concept of hypertext in HTML with the help example?

अथवा (Or)

6. कैलकुलेटर डिज़ाइन करने के लिए HTML में एक प्रोग्राम लिखें?

Write a Program in HTML to design a calculator?इकाई

IV (Unit IV)

7. इवेंट और दस्तावेज़ ऑब्जेक्ट मॉडल क्या हैं?

What are events and document object model?

अथवा (Or)

8. फंक्शन और एरे क्या हैं, उदाहरण सहित समझाइए?

What is Function and array, explain with the example?

इकाई V (Unit V)

9. ई-कॉमर्स के विकास की व्याख्या करें, ई-कॉमर्स में प्रमुख जोखिम क्या हैं?

Explain evolution of E-Commerce, what are the major risks in E-Commerce?

अथवा (Or)

10. संक्षेप में बताएं (कोई दो)।
Explain briefly (any two).
(a) इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली / Electronic payment system

उत्तर: आज की डिजिटल दुनिया में पैसे का लेन-देन बहुत तेज़, आसान और सुरक्षित हो गया है। इसका सबसे बड़ा कारण है इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली (Electronic Payment System), जिसे हम आमतौर पर Online Payment, Digital Payment, या Cashless Transaction के नाम से जानते हैं। यह सिस्टम हमें बिना नकद (Cash) के मोबाइल, कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के ज़रिए भुगतान करने की सुविधा देता है।

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली क्या है?

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पैसे का लेन-देन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होता है। इसमें ग्राहक और व्यापारी (Customer & Merchant) के बीच में Transaction डिजिटल माध्यम से होता है, जैसे कि मोबाइल ऐप, वेबसाइट या कार्ड स्वाइप मशीन के द्वारा।

यह प्रणाली समय की बचत करती है, लेन-देन को ट्रैक करना आसान बनाती है और कई बार कैश ले जाने की जरूरत भी खत्म हो जाती है।

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली के प्रकार (Types):

1. Debit और Credit Card: यह कार्ड बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं और किसी POS Machine या Online Portal पर स्वाइप या इंटर करके Payment किया जाता है।

2. Net Banking: इसमें ग्राहक अपने बैंक अकाउंट को इंटरनेट से एक्सेस करके पैसे भेज सकता है या बिल पे कर सकता है।

3. UPI (Unified Payments Interface): यह एक बहुत तेज़ और सुविधाजनक Payment तरीका है जिसमें केवल मोबाइल नंबर या UPI ID से पैसा ट्रांसफर हो जाता है। जैसे—Google Pay, PhonePe, Paytm।

4. Mobile Wallets: ये Prepaid डिजिटल पर्स होते हैं जिनमें पहले पैसे डाले जाते हैं और फिर उनसे पेमेंट किया जा सकता है। जैसे—Paytm Wallet, Mobikwik, Amazon Pay।

5. Aadhaar Payment System: इसमें आधार कार्ड और फिंगरप्रिंट के जरिए लेन-देन किया जाता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में यह सिस्टम बहुत उपयोगी है।

6. QR Code Payment: दुकानों पर लगे QR Code को स्कैन करके UPI या Wallet से Payment किया जाता है। यह Contactless और Safe तरीका है।

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली के फायदे (Advantages):

1. सुविधाजनक (Convenient): कहीं भी, कभी भी Payment किया जा सकता है, बस Internet और Mobile चाहिए।

2. Fats ट्रांजैक्शन: Seconds में पैसा एक अकाउंट से दूसरे में ट्रांसफर हो जाता है।

3. Track करना आसान: हर Payment का Record रहता है, जिससे खर्च पर नज़र रखना आसान होता है।

4. कम नकद लेन-देन: इससे नकद की जरूरत कम होती है, जिससे चोरी या नकदी गुम होने का खतरा भी घटता है।

5. सरकार को मदद: Digital Payment से सरकार को टैक्स और GDP में बढ़ोतरी मिलती है।

6. COVID जैसे समय में सुरक्षित: Contactless Payment संक्रमण से बचाव में मदद करता है।

कुछ चुनौतियाँ और सावधानियाँ (Challenges & Precautions):

1. Cyber Security का खतरा: Hackers द्वारा Online Fraud या Data चोरी की संभावना बनी रहती है।

2. Internet Dependency: नेटवर्क या बिजली न होने पर Payment करना मुश्किल हो सकता है।

3. Digital Literacy की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बहुत से लोग इस तकनीक से अनजान हैं।

4. OTP या Password शेयर न करें: सुरक्षा के लिए जरूरी है कि OTP, UPI PIN या Password कभी किसी के साथ न बाँटें।

(b) ई-शॉपिंग / E-shopping

उत्तर: आज के डिजिटल युग में Shopping का तरीका पूरी तरह बदल चुका है। पहले लोग बाजार जाकर सामान खरीदते थे, लेकिन अब घर बैठे मोबाइल या कंप्यूटर से ही शॉपिंग करना संभव है। इसे हम ई-शॉपिंग (E-Shopping) या Online Shopping कहते हैं। यह इंटरनेट के माध्यम से वस्त्र, मोबाइल, किताबें, किराना, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि चीज़ें खरीदने का एक आधुनिक तरीका है।

ई-शॉपिंग क्या है?

ई-शॉपिंग का मतलब है – इंटरनेट का उपयोग करके Online सामान खरीदना। इसमें ग्राहक किसी Website या App पर जाकर वस्तुओं को चुनता है, पेमेंट करता है और सामान कुछ ही दिनों में उसके घर पहुंच जाता है।

कुछ प्रमुख E-Shopping Platforms हैं – Amazon, Flipkart, Myntra, Meesho, Ajio, Snapdeal, BigBasket, JioMart आदि।

ई-शॉपिंग कैसे काम करती है?

1. Online Platform पर जाना: ग्राहक Amazon, Flipkart जैसी वेबसाइट या App खोलता है और Shopping शुरू करता है।

2. Product चुनना: Clothes, Electronics, Books आदि Categories से पसंदीदा Product को Browse करके चुना जाता है।

3. Add to Cart (कार्ट में जोड़ना): चुना हुआ सामान “Cart” में Add किया जाता है ताकि बाद में एक साथ Payment किया जा सके।

4. Payment करना: Debit Card, UPI, Wallet, Net Banking या Cash on Delivery के माध्यम से Payment किया जाता है।

5. Delivery: कुछ दिनों के अंदर चुना गया Product ग्राहक के घर पर Deliver कर दिया जाता है।

E-Shopping के Disadvantages

1. सुविधा (Convenience): Online Shopping 24×7 उपलब्ध होती है। बिना भीड़, ट्रैफिक या दुकान बंद होने की चिंता के घर बैठे शॉपिंग की जा सकती है।

2. Product की Variety: Online Platforms पर हजारों Brands, Designs और Options एक ही जगह उपलब्ध होते हैं, जिन्हें एक क्लिक में Compare किया जा सकता है।

3. Time और Energy की बचत: Market जाने, लाइन में लगने या सामान ढूंढने में लगने वाला समय और मेहनत बचती है।

4. Offers और Discounts: Online Sites पर अक्सर Special Offers, Coupons, Cashback और Festival Sale जैसी सुविधाएँ मिलती हैं।

5. घर पर Delivery: Product सीधे आपके घर पहुँचता है, जो खासकर Elderly People और Busy Individuals के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

6. Customer Reviews: खरीदने से पहले अन्य Buyers के Reviews और Ratings पढ़कर Product की Quality और Reliability का अंदाजा लगाया जा सकता है।

E-Shopping की सावधानियाँ:

1. Quality का भरोसा नहीं: जो Product Online दिखता है, जरूरी नहीं कि असल में वैसा ही हो, जिससे खरीदारी में दिक्कत हो सकती है।

2. Delivery में देरी: कई बार सामान समय पर नहीं पहुंचता, जिससे Customer को परेशानी होती है।

3. Fraud और Duplicate Products: कुछ बार Fake या गलत Product भेजे जाने की घटनाएँ होती हैं, जिससे नुकसान हो सकता है।

4. Return & Refund में दिक्कत: कुछ Websites पर Product Return करना और पैसे वापस पाना मुश्किल होता है, जिससे ग्राहक असुविधा में पड़ता है।

5. Touch & Feel का अभाव: Market में सामान को छूकर, पहनकर देखना संभव होता है, लेकिन Online Shopping में ऐसा नहीं कर सकते।

6. Internet और Digital Skill जरूरी: Smartphone, Internet कनेक्शन और Basic तकनीकी ज्ञान होना जरूरी है, जो सभी के पास नहीं होता।

E-Shopping की सावधानियाँ:

1. केवल Trustworthy और Official Sites से ही Shopping करें।

2. Unknown Links पर क्लिक करके खरीदारी न करें।

3. Payment करते समय Secure Method जैसे UPI, OTP Verification का उपयोग करें।

4. Product Delivered होने के बाद ही “Received” या “Delivered” बटन दबाएँ।

(c) स्मार्ट कार्ड / Smart Cards.

उत्तर: आज के डिजिटल और तेज़ रफ्तार जीवन में “स्मार्ट कार्ड (Smart Card)” एक महत्वपूर्ण तकनीकी उपकरण बन चुका है। यह एक ऐसा कार्ड होता है जिसमें एक माइक्रोचिप (Microchip) या माइक्रोप्रोसेसर लगा होता है, जो जानकारी को सुरक्षित रखने और पढ़ने में मदद करता है। यह कार्ड ATM कार्ड, Debit/Credit Card, SIM Card, पहचान पत्र, हेल्थ कार्ड, मेट्रो कार्ड, आदि के रूप में उपयोग होता है।

Smart Card क्या है?

स्मार्ट कार्ड एक छोटा, प्लास्टिक का कार्ड होता है जिसमें Embedded Chip या Circuit लगा होता है। यह Chip Data को Store करता है और सुरक्षित तरीके से भेजने का काम करता है। कार्ड की जानकारी को पढ़ने के लिए विशेष Card Reader की जरूरत होती है।

स्मार्ट कार्ड Magnetic Strip वाले पुराने कार्ड की तुलना में अधिक सुरक्षित और तेज़ होता है। इसमें पिन कोड, फिंगरप्रिंट और यहां तक कि बायोमेट्रिक डिटेल्स भी Store किए जा सकते हैं।

Smart Card के प्रकार:

1. Contact Smart Card: इस प्रकार के स्मार्ट कार्ड में एक चिप होती है जिसे डेटा एक्सेस के लिए कार्ड रीडर में डालना पड़ता है। यह कार्ड ATM, बैंकिंग और पहचान पत्रों में इस्तेमाल होते हैं।

2. Contactless Smart Card: इस कार्ड में Radio Frequency तकनीक (RFID या NFC) होती है। इसे रीडर के पास लाने भर से डेटा वायरलेस तरीके से ट्रांसफर हो जाता है। उदाहरण: Metro Card, Toll Tag आदि।

3. Hybrid Smart Card: इस कार्ड में दोनों प्रकार की चिप होती हैं – Contact और contactless। यह उन जगहों पर उपयोगी होता है जहाँ दोनों प्रकार की तकनीकों की जरूरत होती है, जैसे– Multipurpose Security Card।

Smart Card के उपयोग: 

1. Banking में: Smart Card का उपयोग Debit Card और Credit Card के रूप में किया जाता है, जिससे Safe और Fast Transactions संभव होते हैं।

2. सुरक्षा में: ID Card, Access Control Card जैसे Smart Cards से Authorized Person को ही Entry मिलती है – जैसे Office, Labs आदि में।

3. स्वास्थ्य सेवाओं में: Health Smart Card में मरीज (Patient) की Medical History Store होती है, जो Hospitals में Quick Treatment में मदद करता है।

4. Public Transport में: Metro Card, Bus Card जैसे Smart Cards से Fare Payment Contactless और Cashless तरीके से होता है।

5. Mobile Communication में: SIM Card भी एक Smart Card है, जो Mobile Network से Connection और User Authentication के लिए इस्तेमाल होता है।

6. Education में: Student ID Card और Attendance Tracking के लिए Smart Cards Schools और Colleges में उपयोग किए जाते हैं।

Smart Card के Advantages:

1. High Security: Smart Card में Data Encrypt होता है, जिससे Unauthorized Access और Data Theft का खतरा बहुत कम हो जाता है।

2. आसानी से ले जाने योग्य: यह Card छोटा और हल्का होता है, जिससे इसे कहीं भी Carry करना आसान होता है।

3. Speed और Efficiency: Transactions और Identity Verification बहुत ही तेज़ और Efficient होते हैं, जिससे समय की बचत होती है।

4. Multi-Purpose उपयोग: एक ही Smart Card को Banking, Transport, ID Proof जैसे कई कार्यों में Use किया जा सकता है।

5. Paperless Transactions: यह Digital और Cashless Society की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे पर्यावरण को भी लाभ होता है।

6. Data Storage: Smart Card में Personal Information, Medical History या Financial Data को Secure तरीके से Store किया जा सकता है।

Smart Card के Disadvantages:

1. Costly: Smart Card सामान्य Magnetic कार्ड की तुलना में ज्यादा महंगा होता है, जिससे सभी के लिए Affordable नहीं होता।

2. Technical Fault: अगर Chip Damage हो जाए या Card Reader में Fault हो तो कार्ड काम करना बंद कर सकता है।

3. खोने या चोरी होने का खतरा: अगर कार्ड खो जाए या चोरी हो जाए, तो Unauthorized Use हो सकता है जब तक उसे Block न किया जाए।

4. Privacy की चिंता: अगर कार्ड में मौजूद Sensitive Information गलत हाथों में चली जाए, तो Data Misuse हो सकता है।

5. Technology पर निर्भरता: Electricity, Network या Working Devices के बिना यह कार्ड काम नहीं करता, जिससे समस्या हो सकती है।

6. Maintenance की ज़रूरत: Smart Card और उसके Reader दोनों को Safe और Clean रखना जरूरी होता है, नहीं तो कार्य में बाधा आ सकती है।


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