Environmental Studies Paper 3 | BA 2nd Year Paper | DAVV | 2024

Environmental Studies explores the relationship between humans and nature. It covers pollution, conservation, and sustainable development. Understanding these concepts helps protect ecosystems, promotes awareness, and ensures a healthy environment for present and future generations.

October 2024
B.A. II Year (3 Y.D.C.) Examination
त्रतीय प्रश्नपत्र : पर्यावरणीय अध्ययन
PAPER III : ENVIRONMENTAL STUDIES

Time 3 Hours

[Max. Marks : Regular 25 / Private 30]

[Min. Marks : Regular 08 / Private 10]

नोट : खण्ड अ, ख तथा स सभी नियमित एवं स्वाध्यायी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य है। प्रत्येक खण्ड के लिए एवं निर्देशों का पालन करें। समस्त छात्रों के लिए अंक विभाजन प्रश्न पत्र में दर्शाये अनुसार होगा। दृष्टिहीन परीक्षार्थियों के लिए निर्धारित समय से 60 मिनट अतिरिक्त समय दिया जायेगा।

1. पर्यावरण अध्ययन आवश्यक है :

(क) प्रदूषण को रोकने हेतु

(ख) जंगली जीवों के संरक्षण हेतु

(ग) जलवायु में परिवर्तन का सामना करने हेतु

(घ) उपरोक्त सभी।

Environmental study is necessary to :

(a) Prevent (stop) pollution

(b) Protection of wild life

(c) To face changes in climate

(d) All of above.

2. बाढ़ का कारण नहीं है :

(क) नदियों के मार्गों में परिवर्तन

(ख) बाँधों का टूटना

(ग) घने जंगल

(घ) अतिवृष्टि।

Following is not the reason of the Flood :

(a) Change in path of the rivers

(b) Breaking of dams

(c) Dense forest

(d) Heavy rain fall.

3. वर्तमान युग की आवश्यकता है :

(क) तीव्र विकास

(ख) सतत् विकास

(ग) प्राकृतिक विकास

(घ) असतत् विकास।

In the following timed need of :

(a) Fast development

(b) Sustainable development

(c) Natural development

(d) Unsustainable development.

4. ‘पारिस्थितिक तंत्र’ शब्द की व्याख्या सर्वप्रथम किसने की थी :

(क) ओडम

(ख) रिक्टर

(ग) टांस्ले

(घ) हेगेट।

Who first explain the word ‘Ecosystem’ :

(a) Odum

(b) Ricter

(c) Tansley

(d) Heget.

5. औद्योगिक अपशिष्ट होते हैं :

(क) ठोस रूप में

(ख) द्रव रूप में

(ग) गैस रूप में

(घ) उक्त तीनों रूपों में।

Industrial waste are in which form :

(a) Solid

(b) Liquid

(c) Gas

(d) All of above.

Section B : Short Answer (Regular 5×1.5=7.5 / Private 5×2=10)
1. पर्यावरण से आप क्या समझते हैं ?
What do you mean by Environment ?

उत्तर: पर्यावरण का अर्थ है हमारे चारों ओर उपस्थित वह समग्र प्राकृतिक और कृत्रिम परिवेश जिसमें हम जीवित रहते हैं और जो हमारे जीवन को प्रभावित करता है। इसमें वायु, जल, मिट्टी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, ध्वनि, तापमान, प्रकाश तथा अन्य सभी जैविक (living) और अजैविक (non-living) घटक शामिल होते हैं।

English Version:

Environment refers to the total surroundings around us, both natural and man-made, that affect our life and survival. It includes air, water, soil, plants, animals, humans, sound, temperature, light, and all other biotic (living) and abiotic (non-living) components.

अथवा OR
पर्यावरण को प्रभावित करने वाले रासायनिक कारकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: पर्यावरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख रासायनिक कारक निम्नलिखित हैं:

  1. वायु प्रदूषक गैसें – जैसे कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (NOₓ) आदि, जो वायुमंडल को प्रदूषित करती हैं।

  2. कीटनाशक एवं रासायनिक उर्वरक – कृषि में प्रयुक्त DDT, यूरेया, फॉस्फेट, कीटनाशक आदि मिट्टी और जल को प्रदूषित करते हैं।

  3. तेल एवं पेट्रोलियम उत्पाद – समुद्री पर्यावरण को विशेष रूप से प्रभावित करते हैं जब तेल रिसाव होता है।

  4. धात्विक अपशिष्ट (Heavy Metals) – जैसे सीसा (Lead), पारा (Mercury), कैडमियम (Cadmium) आदि औद्योगिक अपशिष्टों में पाए जाते हैं और जल-मिट्टी को विषैला बनाते हैं।

  5. एसिड वर्षा के कारण बनने वाले यौगिक – सल्फ्यूरिक एसिड (H₂SO₄) और नाइट्रिक एसिड (HNO₃), जो वनों, मृदा और जल स्रोतों को हानि पहुँचाते हैं।

  6. प्लास्टिक एवं सिंथेटिक रसायन – ये अपघटनीय होते हैं और भूमि तथा जल स्रोतों को दीर्घकालीन रूप से प्रभावित करते हैं।

सारांश: रासायनिक कारक जैसे प्रदूषक गैसें, कीटनाशक, भारी धातुएँ, तेल उत्पाद और प्लास्टिक आदि पर्यावरण की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं और जैव विविधता, जलवायु तथा मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

Mention the chemical factors affecting Environment.

खण्ड ब : लघु उत्तर Section B : Short Answer

(Regular 5×1.5=7.5 / Private 5×2=10)

1. पर्यावरण से आप क्या समझते हैं ?

What do you mean by Environment

उत्तर: पर्यावरण का अर्थ है हमारे चारों ओर उपस्थित समस्त प्राकृतिक और मानव निर्मित घटकों का वह समूह जो हमारे जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। इसमें वायु, जल, भूमि, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, सूक्ष्म जीव, तापमान, ध्वनि, प्रकाश आदि सभी जैविक (Living) एवं अजैविक (Non-living) तत्व शामिल होते हैं।

Answer: Environment refers to the sum total of all natural and man-made components surrounding us that directly or indirectly affect our life. It includes air, water, land, plants, animals, humans, microorganisms, temperature, sound, light, and all living and non-living elements.

अथवा OR
पर्यावरण को प्रभावित करने वाले रासायनिक कारकों का उल्लेख कीजिए।

Mention the chemical factors affecting Environment.

उत्तर: पर्यावरण को प्रभावित करने वाले मुख्य रासायनिक कारक निम्नलिखित हैं:

  1. प्रदूषक गैसें – जैसे कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (NOₓ) आदि वायु को प्रदूषित करती हैं और जलवायु परिवर्तन में योगदान देती हैं।

  2. कीटनाशक और उर्वरक – कृषि में उपयोग होने वाले रासायनिक कीटनाशक (जैसे DDT) और उर्वरक (जैसे नाइट्रेट, फॉस्फेट) मिट्टी और जल स्रोतों को प्रदूषित करते हैं।

  3. भारी धातुएँ (Heavy Metals) – जैसे सीसा (Lead), पारा (Mercury), कैडमियम (Cadmium) आदि औद्योगिक अपशिष्टों में पाए जाते हैं और जैव तंत्र के लिए विषैले होते हैं।

  4. तेल और पेट्रोलियम उत्पाद – इनका रिसाव जल स्रोतों और समुद्री जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

  5. एसिड वर्षा के यौगिक – सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (NOₓ) वायुमंडल में पानी के साथ मिलकर सल्फ्यूरिक और नाइट्रिक अम्ल बनाते हैं, जिससे अम्लीय वर्षा होती है।

  6. प्लास्टिक और सिंथेटिक रसायन – ये अपघटनीय होते हैं और भूमि, जल तथा जीव-जंतुओं को दीर्घकालीन हानि पहुँचाते हैं।

निष्कर्ष:

ये रासायनिक कारक पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित करते हैं और मानव, वन्यजीवों व प्रकृति के लिएखतरा उत्पन्न करते हैं।

2. मृदा अपरदन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Write a note on Soil Erosion.

उत्तर: मृदा अपरदन (Soil Erosion) वह प्रक्रिया है जिसमें उपजाऊ मिट्टी की ऊपरी परत जल, वायु या अन्य प्राकृतिक शक्तियों द्वारा हट जाती है। यह प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से होती है, लेकिन मानव गतिविधियों जैसे वनों की कटाई, अधिक चराई, अव्यवस्थित खेती और निर्माण कार्यों के कारण यह तीव्र हो जाती है।

मृदा अपरदन के कारण भूमि की उर्वरता घटती है, जिससे कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। साथ ही यह बाढ़, भू-स्खलन और जल स्रोतों के प्रदूषण का कारण भी बनता है।

निवारण के उपाय:

• वृक्षारोपण

• टेरेस खेती

• कंटूर बंधन

• वर्षा जल संचयन

निष्कर्ष: मृदा अपरदन को रोकना आवश्यक है ताकि भूमि की उर्वरता बनी रहे और पर्यावरण संतुलित रहे।

अथवा OR
भूस्खलन के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
Mention the major causes of Land Slides.

उत्तर: भूस्खलन (Landslide) एक प्राकृतिक आपदा है जिसमें चट्टानों, मिट्टी तथा मलबे का अचानक नीचे की ओर खिसकना होता है। यह पहाड़ी या ढलान वाले क्षेत्रों में अधिक होता है और मानव जीवन, संपत्ति तथा पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुँचाता है।

भूस्खलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

1. अत्यधिक वर्षा: भारी और लगातार बारिश मिट्टी को ढीला कर देती है, जिससे ढलान पर स्थित मिट्टी और चट्टानें खिसक जाती हैं।

2. भूकंप: भूकंप के झटकों से धरती की सतह हिलती है और कमजोर चट्टानें या ढलान टूटकर नीचे गिरने लगते हैं।

3. वनों की कटाई (Deforestation): वृक्षों की जड़ें मिट्टी को पकड़ कर रखती हैं। जब पेड़ों की कटाई की जाती है, तो मिट्टी अस्थिर हो जाती है और आसानी से खिसक जाती है।

4. निर्माण कार्य: सड़कों, भवनों व अन्य ढांचों के निर्माण के लिए पहाड़ियों की खुदाई की जाती है, जिससे ढलानों की स्थिरता घटती है।

5. खनन गतिविधियाँ: खनन के कारण ज़मीन की सतह कमजोर हो जाती है, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।

6. जलनिकासी की खराब व्यवस्था: ढलान वाले क्षेत्रों में उचित जलनिकासी की व्यवस्था न होने पर वर्षा का जल इकट्ठा हो जाता है और मिट्टी को ढीला कर देता है।

7. जलवायु परिवर्तन: मौसम में अत्यधिक बदलाव और बेमौसम बारिश भी भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि करते हैं।

निष्कर्ष: भूस्खलन एक गंभीर प्राकृतिक आपदा है, जिसके पीछे प्राकृतिक और मानव-निर्मित दोनों कारण होते हैं। इसके प्रभाव को कम करने के लिए पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण, सही जल प्रबंधन तथा निर्माण कार्यों में सावधानी बरतना आवश्यक है।

3. जल स्तर में कमी पर टिप्पणी लिखिए।
Write a note on Diminishing Water Level.

उत्तर: जल स्तर में कमी (Decline in Water Level) से तात्पर्य है भूजल (Groundwater) की मात्रा का धीरे-धीरे घटते जाना। यह एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जो अनेक प्राकृतिक एवं मानवीय कारणों से उत्पन्न होती है। जल का अत्यधिक दोहन और वर्षा जल का सही संचयन न होने से यह स्थिति उत्पन्न होती है।

जल स्तर में कमी के मुख्य कारण:

1. भूजल का अत्यधिक दोहन: कृषि, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए लगातार और अनियंत्रित तरीके से पानी निकालने से भूजल स्तर तेजी से घटता है।

2. वर्षा जल संचयन की कमी: बारिश के पानी को संग्रहित न करने या उसे जमीन में न समाहित होने देने से भूजल recharge नहीं हो पाता।

3. वनों की कटाई: वृक्षों की कमी से भूमि की जल सोखने की क्षमता घट जाती है, जिससे वर्षा का पानी बह जाता है।

4. शहरीकरण और कंक्रीटीकरण: सड़कों, भवनों और पक्की ज़मीन के कारण वर्षा जल जमीन में नहीं समा पाता।

5. जलवायु परिवर्तन: अत्यधिक गर्मी और अनियमित वर्षा चक्र के कारण जल पुनर्भरण (recharge) कम हो जाता है।

जल स्तर में कमी के प्रभाव:

• पीने के पानी की कमी

• कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव

• कुएँ और नलकूप सूख जाना

• भूमि धंसने (Land subsidence) की घटनाएँ

• पारिस्थितिक असंतुलन

• निवारण के उपाय:

• वर्षा जल संचयन (Rainwater harvesting)

जल संरक्षण के उपाय

• वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण

• सिंचाई में आधुनिक तकनीक का प्रयोग (जैसे टपक सिंचाई)

निष्कर्ष: जल स्तर में गिरावट मानव जीवन, कृषि और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है। इसे रोकने के लिए जल संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग की आवश्यकता है।

अथवा OR
वर्षा वनों के महत्व एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
Discuss the importance and types of Tropical forests.

उत्तर:

🌳 वर्षा वन (Tropical Forests) वर्षा वन वे घने, सदाबहार वन होते हैं जो भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं और जहाँ पूरे वर्ष अधिक वर्षा होती है (200 सेमी या अधिक)। ये वन जैव विविधता से भरपूर होते हैं और पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

✅ वर्षा वनों का महत्व (Importance of Tropical Forests):

1. जैव विविधता का भंडार: वर्षा वन दुनिया की लगभग 50% से अधिक वनस्पति और जीवों की प्रजातियों को आश्रय देते हैं।

2. ऑक्सीजन का स्रोत: इन्हें “धरती के फेफड़े” कहा जाता है क्योंकि ये बहुत अधिक मात्रा में ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं।

3. जलवायु नियंत्रण: वर्षा वन वैश्विक जलवायु को संतुलित करने में सहायक होते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करके ग्रीनहाउस प्रभाव को कम करते हैं।

4. जल चक्र में योगदान: ये वन वाष्पीकरण और वर्षा के माध्यम से जल चक्र को बनाए रखते हैं।

5. औषधीय पौधों का स्रोत: इन वनों में पाए जाने वाले पौधे अनेक औषधियों के निर्माण में उपयोगी होते हैं।

6. मृदा संरक्षण: इन वनों की जड़ें मिट्टी को बाँधकर मृदा अपरदन रोकने में मदद करती हैं।

🌲 वर्षा वनों के प्रकार (Types of Tropical Forests):

1. उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन (Tropical Evergreen Forests):

• वर्ष भर हरे-भरे रहते हैं।

• उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

• घने, ऊँचे पेड़ जैसे साल, शीशम, महोगनी आदि।

2. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन (Tropical Deciduous Forests):

• इन्हें मानसूनी वन भी कहा जाता है।

• वर्षा कम होने पर पत्तियाँ गिरा देते हैं।

• प्रमुख वृक्ष: सागौन, बबूल, पलाश आदि।

3. मैंग्रोव वन (Mangrove Forests):

• समुद्री तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

• खारे पानी में उगते हैं।

• प्रमुख वृक्ष: सुंदरवन में सुंदरी वृक्ष।

निष्कर्ष: वर्षा वन पारिस्थितिक तंत्र का आधार हैं। ये जलवायु, जैव विविधता, और मानव जीवन की रक्षा करते हैं। इनका संरक्षण मानवता के भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।

4. भारत की प्रमुख नदी परियोजनाओं का वर्णन कीजिए।
Mention the major river projects of India.

उत्तर: भारत में जल संसाधनों के समुचित उपयोग, सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण तथा पेयजल आपूर्ति हेतु अनेक महत्वपूर्ण नदी परियोजनाएँ (River Projects) चलाई गई हैं। ये परियोजनाएँ देश की कृषि, ऊर्जा तथा औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

🇮🇳 भारत की प्रमुख नदी परियोजनाएँ (Major River Projects of India):
1. भाखड़ा-नंगल परियोजना (Bhakra-Nangal Project):

• नदी: सतलुज

• राज्य: हिमाचल प्रदेश और पंजाब

• विशेषता: यह भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी परियोजना है।

उपयोग: सिंचाई, जल विद्युत, बाढ़ नियंत्रण।

2. दामोदर घाटी परियोजना (Damodar Valley Project):

• नदी: दामोदर

• राज्य: झारखंड और पश्चिम बंगाल

• विशेषता: इसे भारत का “टेनेसी वैली प्रोजेक्ट” भी कहा जाता है।

• उपयोग: कोयला क्षेत्र के लिए जल आपूर्ति, विद्युत उत्पादन।

3. हीराकुंड परियोजना (Hirakud Project):

• नदी: महानदी

• राज्य: ओडिशा

• विशेषता: एशिया का सबसे लंबा मिट्टी का बाँध।

• उपयोग: सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, बिजली उत्पादन।

4. नागार्जुन सागर परियोजना (Nagarjuna Sagar Project):

• नदी: कृष्णा

• राज्य: आंध्र प्रदेश और तेलंगाना

• उपयोग: सिंचाई, पेयजल, बिजली उत्पादन।

5. सरदार सरोवर परियोजना (Sardar Sarovar Project):

• नदी: नर्मदा

• राज्य: गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान

• विशेषता: नर्मदा बचाओ आंदोलन इसी परियोजना के विरोध में चला था।

• उपयोग: सिंचाई, पेयजल, जल विद्युत।

6. तेहरी बाँध परियोजना (Tehri Dam Project):

• नदी: भागीरथी (गंगा की सहायक नदी)

• राज्य: उत्तराखंड

• विशेषता: यह भारत का सबसे ऊँचा बाँध है।

• उपयोग: बिजली उत्पादन, सिंचाई और पेयजल।

📌 निष्कर्ष: भारत की प्रमुख नदी परियोजनाएँ न केवल जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन में सहायक हैं, बल्कि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इन परियोजनाओं के माध्यम से सिंचाई, बिजली और जल की व्यवस्था को बेहतर बनाया गया है।

अथवा OR
वन सरंक्षण हेतु ‘चिपको आन्दोलन’ का वर्णन कीजिए।
Explain the ‘Chipko Movement’ for Forest Conservation.

उत्तर: ‘चिपको आन्दोलन’ (Chipko Movement) भारत में वनों की कटाई के विरोध में प्रारंभ हुआ एक प्रसिद्ध पर्यावरणीय आन्दोलन है। इसका उद्देश्य पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकना और वनों का संरक्षण करना था।

🌿 चिपको आन्दोलन का आरंभ:

• स्थान: उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) के चमोली जिले में।

• वर्ष: 1973

• प्रमुख नेता: सुंदरलाल बहुगुणा, चंडी प्रसाद भट्ट, गौरा देवी आदि।

इस आंदोलन में ग्रामीण महिलाएं विशेष रूप से सक्रिय रहीं। जब ठेकेदारों द्वारा पेड़ों की कटाई की जाने लगी, तो ग्रामीण महिलाएं पेड़ों से चिपक गईं और उन्हें कटने से बचाया। इसी कारण इस आंदोलन का नाम “चिपको आंदोलन” पड़ा।

🌱 मुख्य उद्देश्य:

• वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना

• पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना

• स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा करना

• पर्यावरण के प्रति जनजागरूकता फैलाना

📌 चिपको आंदोलन के प्रभाव:
  1. वनों की कटाई पर सरकार ने कई स्थानों पर प्रतिबंध लगाया।

  2. पर्यावरण संरक्षण को लेकर पूरे देश में जागरूकता फैली।

  3. महिलाओं की भागीदारी ने आंदोलन को एक नया रूप दिया।

  4. यह आंदोलन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया।

✍️ निष्कर्ष: चिपको आंदोलन भारत के पर्यावरणीय इतिहास में एक मील का पत्थर है। इसने यह साबित किया कि आम लोग भी संगठित होकर प्रकृति की रक्षा कर सकते हैं। यह आंदोलन आज भी वन संरक्षण और पर्यावरण चेतना के प्रेरणास्रोत के रूप में याद किया जाता है।

5. ‘अर्थ सम्मेलन’ पर टिप्पणी लिखिए।
Write a note on Earth Summit.

उत्तर: ‘अर्थ सम्मेलन’ (Earth Summit) एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है जो पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए विश्व के देशों को एक मंच पर लाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।

🌍 मुख्य जानकारी:

आधिकारिक नाम: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन (UN Conference on Environment and Development – UNCED)

• स्थान: रियो डी जेनेरो, ब्राज़ील

• तिथि: 3 से 14 जून, 1992

• आयोजक: संयुक्त राष्ट्र (UNO)

🌱 अर्थ सम्मेलन के उद्देश्य:
  1. पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के बीच संतुलन स्थापित करना।

  2. प्राकृतिक संसाधनों का न्यायसंगत और टिकाऊ उपयोग सुनिश्चित करना।

  3. जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की हानि, वनों की कटाई आदि वैश्विक समस्याओं का समाधान खोजना।

📜 मुख्य घोषणाएँ एवं दस्तावेज:
  1. Agenda 21: सतत विकास के लिए 21वीं सदी की कार्य योजना।

  2. रियो घोषणापत्र: पर्यावरण और विकास के सिद्धांतों का घोषणा-पत्र।

  3. जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क समझौता (UNFCCC): ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने की दिशा में पहला कदम।

  4. जैव विविधता सम्मेलन (CBD): जैव विविधता की रक्षा हेतु अंतरराष्ट्रीय समझौता।

  5. वन सिद्धांत: विश्व के वनों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए दिशा-निर्देश।

🌐 अर्थ सम्मेलन का महत्व:

• यह सम्मेलन वैश्विक पर्यावरणीय चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीरता से लेने का प्रतीक बना।

• इसने पर्यावरण नीति-निर्माण के लिए एक आधार तैयार किया।

• इससे “सतत विकास” (Sustainable Development) की अवधारणा को वैश्विक पहचान मिली।

✍️ निष्कर्ष: अर्थ सम्मेलन पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास था। इसने विश्व भर के देशों को मिलकर पृथ्वी की रक्षा करने का संदेश दिया और सतत विकास की नींव रखी।

अथवा OR
प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता एवं महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
Describe the importance and need of Natural Resources.

उत्तर: प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources) वे वस्तुएँ हैं जो हमें प्रकृति से बिना किसी मानवीय निर्माण के प्राप्त होती हैं। जैसे — जल, वायु, मिट्टी, खनिज, जंगल, जीव-जंतु, सूर्य की ऊर्जा आदि।

🌱 प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता (Need for Natural Resources):

1. मानव जीवन के लिए आवश्यक: पानी पीने, सांस लेने के लिए हवा, भोजन उगाने के लिए मिट्टी जैसे संसाधन मानव जीवन के लिए अनिवार्य हैं।

2. आवास एवं निर्माण कार्यों हेतु: लकड़ी, पत्थर, बालू, मिट्टी, लोहा आदि का उपयोग भवन, पुल, सड़क आदि बनाने में होता है।

3. ऊर्जा उत्पादन के लिए: कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, जल, और सूर्य ऊर्जा जैसे संसाधन बिजली और ईंधन उत्पादन में प्रयुक्त होते हैं।

4. औद्योगिक विकास के लिए: खनिज, जल और अन्य कच्चे माल के बिना उद्योगों का संचालन संभव नहीं है

5. कृषि कार्यों में: जल, भूमि, उर्वर मिट्टी आदि संसाधनों की सहायता से फसलें उगाई जाती हैं।

🌏 प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व (Importance of Natural Resources):

1. आर्थिक विकास: किसी देश की अर्थव्यवस्था का आधार उसके प्राकृतिक संसाधन होते हैं।

2. पर्यावरण संतुलन: वन, जल स्रोत और जीव-जंतु पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित रखते हैं।

3. रोज़गार के साधन: कृषि, खनन, वानिकी, मत्स्य उद्योग आदि क्षेत्रों में लाखों लोगों को रोजगार मिलता है

4. मानव सभ्यता का आधार: प्राकृतिक संसाधनों के बिना मानव समाज का विकास संभव नहीं होता।

✍️ निष्कर्ष: प्राकृतिक संसाधन मानव जीवन और विकास की रीढ़ हैं। इनका संरक्षण और सतत उपयोग आवश्यक है ताकि वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियाँ इनका लाभ उठा सकें। यदि इनका अत्यधिक दोहन किया गया, तो यह संसाधन समाप्त हो सकते हैं, जिससे जीवन संकट में पड़ जाएगा।

खण्ड स : दीर्घ उत्तर Section C : Long Answer
(Regular 3×5=15 / Private 3×5=15)
1. आप प्राकृतिक संसाधनों से क्या समझते हैं ? प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
What do you understand by Natural Resources? Describe the importance and need of Natural Resources.

उत्तर:

🌿 प्राकृतिक संसाधनों का अर्थ (Meaning of Natural Resources):प्राकृतिक संसाधन वे वस्तुएँ हैं जो हमें प्रकृति से बिना किसी मानवीय निर्माण के प्राप्त होती हैं और जो मानव जीवन, विकास और पर्यावरण के संतुलन में सहायक होती हैं। जैसे – जल, वायु, सूर्य का प्रकाश, मिट्टी, वन, खनिज, कोयला, पेट्रोलियम आदि।

🌱 प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता (Need for Natural Resources):

1. मानव जीवन के लिए अनिवार्य: जल पीने के लिए, वायु साँस लेने के लिए तथा भोजन उगाने के लिए मिट्टी अत्यंत आवश्यक है।

2. ऊर्जा उत्पादन हेतु: कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, जल और सूर्य की ऊर्जा बिजली व ईंधन के लिए जरूरी हैं।

3. कृषि कार्यों के लिए: उर्वर भूमि, जल और मौसम कृषि के लिए महत्वपूर्ण संसाधन हैं।

4. निर्माण कार्यों हेतु: लकड़ी, पत्थर, मिट्टी और खनिजों से भवन, सड़क, पुल आदि बनाए जाते हैं।

5. औद्योगिक विकास में योगदान: खनिज, जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के बिना उद्योगों का संचालन संभव नहीं।

🌏 प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व (Importance of Natural Resources):

1. आर्थिक विकास का आधार: प्राकृतिक संसाधनों के उचित उपयोग से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।

2. पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हैं: वन, जल, जीव-जंतु आदि पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखते हैं।

3. रोज़गार के साधन: कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन, खनन आदि से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।

4. मानव सभ्यता का आधार: मनुष्य का जीवन और विकास पूरी तरह प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है।

✍️ निष्कर्ष:  प्राकृतिक संसाधन जीवन की मूलभूत आवश्यकता हैं। इनका संरक्षण एवं संतुलित उपयोग न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। यदि इनका अत्यधिक दोहन किया गया, तो पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा और जीवन संकट में पड़ सकता है। अतः हमें प्राकृतिक संसाधनों को संभालकर और विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करना चाहिए।

अथवा OR
मृदा अपरदन से आप क्या समझते हैं ? मृदा अपरदन को प्रभावित करने वाले कारणों का वर्णन कीजिए।
What do you mean by Soil Erosion? Discuss the factors affecting Soil Erosion.

उत्तर: मृदा अपरदन से आप क्या समझते हैं: मृदा अपरदन (Soil Erosion) वह प्रक्रिया है जिसमें मृदा की ऊपरी उपजाऊ परत हवा, पानी, बर्फ या मानव गतिविधियों के कारण धीरे-धीरे हट जाती है। यह प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन जब यह तीव्र हो जाती है तो भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है और यह खेती के लिए अनुपयुक्त हो जाती है।

मृदा अपरदन को प्रभावित करने वाले मुख्य कारण:

1. वर्षा एवं बहता जल (Rainfall and Running Water): तेज बारिश और बहता पानी मृदा की ऊपरी परत को बहा ले जाते हैं, जिससे जल अपरदन होता है।

2. हवा (Wind): विशेषकर शुष्क और रेगिस्तानी क्षेत्रों में तेज हवाएं मिट्टी को उड़ाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती हैं, जिससे पवन अपरदन होता है।

3. वनों की कटाई (Deforestation): पेड़-पौधे मृदा को बांधे रखते हैं। जब वनों की अंधाधुंध कटाई होती है, तो मृदा असुरक्षित हो जाती है और आसानी से कटने लगती है।

4. अत्यधिक चराई (Overgrazing): जब जानवर अधिक मात्रा में चराई करते हैं, तो भूमि की हरियाली नष्ट हो जाती है और मिट्टी ढीली होकर उड़ने लगती है।

5. खेतों की ढाल पर जुताई (Ploughing on Slopes): खेतों की ढाल पर जुताई करने से पानी की धारा तेज होकर मृदा को बहा ले जाती है।

6. निर्माण कार्य (Construction Activities): सड़क, भवन और अन्य निर्माण कार्यों के दौरान मिट्टी को हटाया जाता है, जिससे वह अपरदन के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है।

7. अनुचित कृषि पद्धतियाँ (Unsustainable Farming Methods): जैसे बार-बार एक ही फसल उगाना, बिना मल या खाद के खेती करना, आदि मिट्टी की गुणवत्ता को घटाकर उसे अधिक आसानी से क्षरण योग्य बनाते हैं।

निष्कर्ष: मृदा अपरदन भूमि की उपजाऊ शक्ति को कम करता है जिससे कृषि उत्पादन घटता है। इसके नियंत्रण के लिए वनों की रक्षा, ढाल पर समोचित कृषि, टेरेस फार्मिंग, और पौधारोपण जैसे उपायों को अपनाना आवश्यक है।

2. पारिस्थितिक तंत्र से आप क्या समझते हैं ? एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा के प्रवाह का वर्णन कीजिए।
What do you mean by Ecosystem? Describe the Energy flow in an Ecosystem.

उत्तर:पारिस्थितिक तंत्र से आप क्या समझते हैं: पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) जीवों (जैविक घटकों) और उनके भौतिक (अजैविक) वातावरण के बीच पारस्परिक क्रियाओं का एक ऐसा तंत्र है, जिसमें सभी जीव एक-दूसरे तथा अपने पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखते हैं। यह एक जैविक समुदाय और उसके पर्यावरण के बीच ऊर्जा और पोषक तत्वों के आदान-प्रदान की एक समग्र इकाई होती है।

पारिस्थितिक तंत्र के मुख्य घटक:
1. जैविक घटक:

• उत्पादक (Producers) – हरे पौधे

• उपभोक्ता (Consumers) – शाकाहारी, मांसाहारी, सर्वाहारी

• अपघटक (Decomposers) – जीवाणु, फफूंदी आदि

2. अजैविक घटक:

• सूर्य का प्रकाश, जल, वायु, मृदा, तापमान आद

• एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह (Flow of Energy):

• पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह एक एक-मार्गी (one-way) प्रक्रिया है, जो निम्नलिखित क्रम में होता है:

1. सूर्य – ऊर्जा का मुख्य स्रोत: सभी ऊर्जा का मूल स्रोत सूर्य है। सूर्य की ऊर्जा को हरे पौधे (उत्पादक) प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) के द्वारा रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।

2. उत्पादकों से प्राथमिक उपभोक्ताओं तक: शाकाहारी जीव (प्राथमिक उपभोक्ता) पौधों को खाकर ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

3. प्राथमिक से द्वितीयक और तृतीयक उपभोक्ताओं तक: मांसाहारी और सर्वाहारी जीव इन शाकाहारी जीवों को खाते हैं, जिससे ऊर्जा उच्च उपभोक्ताओं तक पहुँचती है।

4. ऊर्जा की हानि: प्रत्येक т्रॉफिक स्तर पर ऊर्जा का एक बड़ा भाग (लगभग 90%) शरीर की क्रियाओं, गर्मी और उत्सर्जन के रूप में नष्ट हो जाता है, और केवल लगभग 10% ऊर्जा ही अगले स्तर तक स्थानांतरित होती है। इसे 10% नियम कहते हैं।

5. अपघटक की भूमिका: जब जीव मरते हैं, तो अपघटक (Decomposers) उनका विघटन करके पोषक तत्वों को मृदा में वापस लाते हैं, जिससे उत्पादक उन्हें पुनः उपयोग में ला सकते हैं।

निष्कर्ष: पारिस्थितिक तंत्र एक संतुलित प्रणाली है जहाँ जीव और उनका पर्यावरण परस्पर निर्भर होते हैं। ऊर्जा का प्रवाह इसमें सूर्य से शुरू होकर विभिन्न ट्रॉफिक स्तरों तक जाता है और अंतिम रूप से अपघटकों के माध्यम से पुनः चक्रित होता है।

अथवा OR
सतत् विकास की अवधारणा का वर्णन कीजिए।
Explain the concept of Sustainable Development.

उत्तर: सतत् विकास की अवधारणा (Concept of Sustainable Development): सतत् विकास (Sustainable Development) एक ऐसी विकास प्रक्रिया है जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को इस प्रकार पूरा करती है कि भविष्य की पीढ़ियाँ भी अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। इसमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, पर्यावरण की सुरक्षा, और सामाजिक-आर्थिक संतुलन को बनाए रखना शामिल है।

सतत् विकास की परिभाषा (Definition): ब्रुंटलैण्ड रिपोर्ट (1987) के अनुसार:  “सतत् विकास वह विकास है जो वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करता है, बिना भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को खतरे में डाले।”

सतत् विकास के मुख्य घटक:

1. आर्थिक स्थिरता (Economic Sustainability): विकास की प्रक्रिया में आर्थिक वृद्धि हो, लेकिन संसाधनों का अपव्यय न हो।

2. पर्यावरणीय संरक्षण (Environmental Protection): प्राकृतिक संसाधनों जैसे जल, मृदा, वन, खनिज आदि का संरक्षण ताकि पर्यावरण संतुलित बना रहे।

3. सामाजिक न्याय (Social Equity): समाज के सभी वर्गों को समान अवसर मिले और संसाधनों का लाभ समान रूप से पहुँचे।

सतत् विकास के उद्देश्य:

• प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग

• प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षरण को कम करना

• जैव विविधता का संरक्षण

• ग्रामीण और शहरी जीवन में संतुलन

• शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर में सुधार

निष्कर्ष: सतत् विकास एक समग्र और दीर्घकालीन सोच है, जिसका उद्देश्य मानव समाज का समुचित, न्यायपूर्ण और पर्यावरण के अनुकूल विकास करना है। यह वर्तमान और भविष्य दोनों के हितों की रक्षा करता है।

3. जैव विविधता की विभिन्न श्रेणियों का वर्णन कीजिए।
Mention the various types of Bio-diversity.

उत्तर:जैव विविधता की परिभाषा (Definition of Biodiversity)  जैव विविधता (Biodiversity) का अर्थ है पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी प्रकार के जीवों – पौधों, जानवरों, सूक्ष्म जीवों आदि – तथा उनके पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता। यह जीवन के रूपों की संख्या, प्रकार और उनके पारस्परिक संबंधों को दर्शाता है।

जैव विविधता की मुख्य श्रेणियाँ:

जैव विविधता को आमतौर पर तीन मुख्य श्रेणियों में बाँटा जाता है:

1. प्रजातीय विविधता (Species Diversity): यह विविधता जीवों की विभिन्न प्रजातियों की संख्या और उनके आपसी अनुपात को दर्शाती है।

उदाहरण:

• बाघ, हाथी, नीम, गेहूँ आदि सभी अलग-अलग प्रजातियाँ हैं।

• एक वन क्षेत्र में 100 से अधिक पौधों और जानवरों की प्रजातियाँ हो सकती हैं।

2. आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity): यह किसी प्रजाति के भीतर पाए जाने वाले विभिन्न जीन (genes) और आनुवंशिक गुणों की विविधता को दर्शाती है।

उदाहरण:

• एक ही गेहूँ की प्रजाति की कई किस्में जैसे – लोही, सत्यम, शरबती आदि

• मनुष्यों में रंग, ऊँचाई, बालों का प्रकार आदि में विविधता

3. पारिस्थितिक तंत्र विविधता (Ecosystem Diversity): यह पृथ्वी पर पाए जाने वाले विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता को दर्शाती है।

उदाहरण:

• जंगल, रेगिस्तान, समुद्री तट, घास के मैदान, पर्वतीय क्षेत्र, आर्द्रभूमियाँ आदि

• हर पारिस्थितिक तंत्र में जीवों और पर्यावरण का अलग संयोजन होता है।

निष्कर्ष: जैव विविधता जीवन का मूल आधार है, जो पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में सहायक है। इसकी तीन श्रेणियाँ – प्रजातीय, आनुवंशिक और पारिस्थितिक तंत्र विविधता – मिलकर पृथ्वी पर जीवन को समृद्ध और संतुलित बनाती हैं।

अथवा OR
पारिस्थितिक पिरामिड से आप क्या समझते हैं ? पारिस्थितिक पिरामिड की विभिन्न श्रेणियों का वर्णन कीजिए।
What do you mean by Ecological Pyramid? Mention the various types of Ecological Pyramid.

उतर: पारिस्थितिक पिरामिड से आप क्या समझते हैं: पारिस्थितिक पिरामिड (Ecological Pyramid) एक आरेखात्मक प्रतिनिधित्व है, जो किसी पारिस्थितिक तंत्र में विभिन्न т्रॉफिक स्तरों (trophic levels) पर पाए जाने वाले जीवों की संख्या, जैव द्रव्यमान (biomass), या ऊर्जा की मात्रा को दर्शाता है। यह पिरामिड एक पारिस्थितिक तंत्र की संरचना और कार्यप्रणाली को समझने में सहायता करता है।

पारिस्थितिक पिरामिड की विभिन्न श्रेणियाँ:

1. संख्या का पिरामिड (Pyramid of Numbers): यह पिरामिड विभिन्न ट्रॉफिक स्तरों पर जीवों की संख्या को दर्शाता है।

उदाहरण: • एक घास के मैदान में असंख्य घास के पौधे (उत्पादक), कुछ खरगोश (प्राथमिक उपभोक्ता) और उनसे भी कम संख्या में शिकारी (माध्यमिक उपभोक्ता) होते हैं।

• कभी-कभी यह उल्टा भी हो सकता है, जैसे एक पेड़ पर कई कीड़े।

2. जैव द्रव्यमान का पिरामिड (Pyramid of Biomass): यह पिरामिड प्रत्येक ट्रॉफिक स्तर पर उपस्थित जीवों के कुल शुष्क भार (dry weight) को दर्शाता है।

सामान्यतः • यह पिरामिड सीधा होता है, क्योंकि उत्पादकों का जैव द्रव्यमान सबसे अधिक होता है।

• लेकिन जल-आधारित पारिस्थितिक तंत्र में यह कभी-कभी उल्टा भी हो सकता है।

3. ऊर्जा का पिरामिड (Pyramid of Energy): यह सबसे विश्वसनीय पिरामिड होता है। यह दर्शाता है कि प्रत्येक ट्रॉफिक स्तर पर कितनी ऊर्जा प्रवाहित होती है और कितनी ऊर्जा हानि होती है। यह पिरामिड हमेशा सीधा होता है, क्योंकि ऊर्जा हर स्तर पर कम होती जाती है (लगभग 90% ऊर्जा हानि होती है)।

निष्कर्ष: पारिस्थितिक पिरामिड किसी पारिस्थितिक तंत्र की संरचना, ऊर्जा प्रवाह और जैव विविधता को समझने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह हमें पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान करता है।

4. वायु प्रदूषण के कारणों एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
Mention the causes and source of Air Pollution.

उत्तर: वायु प्रदूषण (Air Pollution) वह स्थिति है जब वायुमंडल में हानिकारक गैसें, धूल, धुआं, रासायनिक कण आदि इस मात्रा में मिल जाते हैं कि वे मानव, पशु, वनस्पति और पर्यावरण को हानि पहुँचाने लगते हैं। यह प्रदूषण प्राकृतिक और मानवीय दोनों कारणों से हो सकता है।

वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण एवं स्रोत:
1. मानवजनित (Anthropogenic) कारण:

1. वाहनों से निकलने वाला धुआं: पेट्रोल, डीजल और गैस से चलने वाले वाहन कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जित करते हैं।

2. औद्योगिक उत्सर्जन: फैक्ट्रियों और उद्योगों से निकलने वाली गैसें (जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड) वायु को प्रदूषित करती हैं।

3. कृषि गतिविधियाँ: रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और जलाने की प्रक्रिया से अमोनिया और अन्य हानिकारक गैसें वातावरण में मिलती हैं।

4. घरेलू ईंधन का उपयोग: लकड़ी, कोयला, गोबर आदि जलाने से धुआं और खतरनाक कण निकलते हैं।

5. निर्माण कार्य और धूल: सड़कों, भवनों और अन्य निर्माण कार्यों से भारी मात्रा में धूल कण वायु में फैलते हैं।

6. प्लास्टिक और कचरा जलाना: प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट जलाने से जहरीली गैसें निकलती हैं जैसे डाइऑक्सिन और फ्यूरान।

2. प्राकृतिक कारण:

1. ज्वालामुखी विस्फोट: इससे राख, धूल और सल्फर युक्त गैसें वायुमंडल में फैल जाती हैं।

2. वनों की आग: प्राकृतिक कारणों से लगी आग से भारी मात्रा में धुआं और कार्बन युक्त कण वायु में फैलते हैं।

3. धूल भरी आंधियाँ: रेगिस्तानी क्षेत्रों से उठने वाली धूल प्रदूषण को बढ़ाती है।

4. परागकण (Pollen): कुछ पेड़-पौधों से निकलने वाले परागकण भी वायु को प्रदूषित कर सकते हैं, विशेषकर एलर्जी के दृष्टिकोण से।

निष्कर्ष:  वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण मानवीय गतिविधियाँ हैं। इसे नियंत्रित करने के लिए सार्वजनिक जागरूकता, पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों का प्रयोग, और सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।

अथवा OR
ध्वनि प्रदूषण की हानियों का उल्लेख कीजिए तथा ध्वनि प्रदूषण से बचाव हेतु सुझाव दीजिए।

Point out the bad effects of Noise Pollution and suggest measures to avoid Noise Pollution.

5. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संरचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।

Discuss the constitution and functions of Central Pollution Control Board.

अथवा OR
पर्यावरणीय जन-जागरूकता की आवश्यकता का उल्लेख कीजिए।

Write the need of Environmental Awareness.


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